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Wednesday, 16 November 2016

बवासीर का प्रभावी हर्बल उपचार

इस बीमारी को अर्श, पाइस या मूलव्याधि के नाम से भी जाना जाता है। इस रोग में गुदा की भीतरी दीवार में मौजूद खून की नसें सूजने के कारण तनकर फूल जाती हैं। इससे उनमें कमजोरी आ जाती है और मल त्याग के वक्त जोर लगाने से या कड़े मल के रगड़ खाने से खून की नसों में दरार पड़ जाती हैं और उसमें से खून बहने लगता है।

बवासीर की समस्या | प्रकार | बवासीर का हर्बल उपचार

कारण-कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। अतः अनुवांशिकता इस रोग का एक कारण हो सकता है। जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है, कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता मलत्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त तक पखाने में उकडू बैठे रहना पड़ता है, जिससे रक्त वाहनियों पर जोर पड़ता है और वह फूलकर लटक जाती हैं। बवासीर गुदा के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है। 

बवासीर मतलब पाइल्स यह रोग बढ़ती उम्र के साथ जिनकी जीवनचर्या बिगड़ी हुई हो, उनको होता है। जिन लोगों को कब्ज अधिक रहता हो उनको यह आसानी से हो जाता है। इस रोग में गुदा द्वार पर मस्से हो जाते है। जो सुखे और फुले दो प्रकार के होते है। मल विसर्जन के वक्त इसमें असहनीय पीड़ा होती है तथा खून भी निकलता है इससे रोगी कमजोर हो जाता है। बवासीर को आधुनिक सभ्यता का विकार कहें तो कॊई अतिश्योक्ति न होगी । खाने पीने मे अनिमियता , जंक फ़ूड का बढता हुआ चलन और व्यायाम का घटता महत्व , लेकिन और भी कई कारण हैं बवासीर के रोगियों के बढने में ।

 बवासीर के प्रकार

खूनी बवासीर

खूनी बवासीर में किसी प्रक़ार की तकलीफ नही होती है केवल खून आता है। पहले पखाने में लगके, फिर टपक के, फिर पिचकारी की तरह से सिफॅ खून आने लगता है। इसके अन्दर मस्सा होता है। जो कि अन्दर की तरफ होता है फिर बाद में बाहर आने लगता है। टट्टी के बाद अपने से अन्दर चला जाता है। पुराना होने पर बाहर आने पर हाथ से दबाने पर ही अन्दर जाता है। आखिरी स्टेज में हाथ से दबाने पर भी अन्दर नही जाता है।

बादी बवासीर

बादी बवासीर रहने पर पेट खराब रहता है। कब्ज बना रहता है। गैस बनती है। बवासीर की वजह से पेट बराबर खराब रहता है। न कि पेट गड़बड़ की वजह से बवासीर होती है। इसमें जलन, ददॅ, खुजली, शरीर मै बेचैनी, काम में मन न लगना इत्यादि। टट्टी कड़ी होने पर इसमें खून भी आ सकता है। इसमें मस्सा अन्दर होता है। मस्सा अन्दर होने की वजह से पखाने का रास्ता छोटा पड़ता है और चुनन फट जाती है और वहाँ घाव हो जाता है उसे डाक्टर अपनी जवान में फिशर भी कहते हें। जिससे असहाय जलन और पीडा होती है। बवासीर बहुत पुराना होने पर भगन्दर हो जाता है। जिसे अंग़जी में फिस्टुला कहते हें। फिस्टुला प्रक़ार का होता है। भगन्दर में पखाने के रास्ते के बगल से एक छेद हो जाता है जो पखाने की नली में चला जाता है। और फोड़े की शक्ल में फटता, बहता और सूखता रहता है। कुछ दिन बाद इसी रास्ते से पखाना भी आने लगता है। बवासीर, भगन्दर की आखिरी स्टेज होने पर यह केंसर का रूप ले लेता है। जिसको रिक्टम केंसर कहते हें। जो कि जानलेवा साबित होता है।

 बवासीर के कारण

कुछ व्यक्तियों में यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी पाया जाता है। अतः अनुवांशिकता इस रोग का एक कारण हो सकता है। जिन व्यक्तियों को अपने रोजगार की वजह से घंटों खड़े रहना पड़ता हो, जैसे बस कंडक्टर, ट्रॉफिक पुलिस, पोस्टमैन या जिन्हें भारी वजन उठाने पड़ते हों,- जैसे कुली, मजदूर, भारोत्तलक वगैरह, उनमें इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है। कब्ज भी बवासीर को जन्म देती है, कब्ज की वजह से मल सूखा और कठोर हो जाता है जिसकी वजह से उसका निकास आसानी से नहीं हो पाता मलत्याग के वक्त रोगी को काफी वक्त तक पखाने में उकडू बैठे रहना पड़ता है, जिससे रक्त वाहनियों पर जोर पड़ता है और वह फूलकर लटक जाती हैं। बवासीर गुदा के कैंसर की वजह से या मूत्र मार्ग में रूकावट की वजह से या गर्भावस्था में भी हो सकता है।

 बवासीर के लक्षण

बवासीर का प्रमुख लक्षण है गुदा मार्ग से रक्तस्राव जो शुरूआत में सीमित मात्रा में मल त्याग के समय या उसके तुरंत बाद होता है। यह रक्त या तो मल के साथ लिपटा होता है या बूंद-बूंद टपकता है। कभी-कभी यह बौछार या धारा के रूप में भी मल द्वारा से निकलता है। अक्सर यह रक्त चमकीले लाल रंग का होता है, मगर कभी-कभी हल्का बैंगनी या गहरे लाल रंग का भी हो सकता है। कभी तो खून की गिल्टियां भी मल के साथ मिली होती हैं
  • मलद्वार के आसपास खुजली होना
  • मल त्याग के समय कष्ट का आभास होना
  • मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन
  • मलत्याग के बाद रक्त का स्त्राव होना
  • मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि न महसूस करना 
पाईलेप्सोल हर्बल कैप्सूल बवासीर के लिए एक हर्बल दवा है. यह हर्बल उपचार अधिक गुणकरी है और गुदा में नसों की दीवारों की लोच में सुधार करता है. पाईलेप्सोल कैप्सूल भी पाचन कार्य में सुधार करता है और कब्ज तथा मल के साथ जो रक्त निकलता है उसके निलालने को समाप्त करता है. इसका प्रयोग आंतरिक और बाह्य समस्याओं को रोकने के लिए किया जाता है.

पाईलेप्सोल हर्बल कैप्सूल एक जड़ी बूटीयों का गठन है जो एक लंबे समय की खोज के बाद हासिल की गयी है यह मल के साथ रक्त स्राव व बवासीर के घाव की राहत के लिए जड़ी बूटियों का एक मिश्रण है. यह एक प्रभावशाली गुणवत्ता और सुरक्षित उत्पाद के बाद कई रसायन तथा भस्म के मिश्रण से तैयार किया गया है. इसको रक्त स्राव बवासीर, सूखी बवासीर, लुंज घाव के लिए मुख्य चिकित्सकीय दवा के रूप में उपयोग करें.

पाईलेप्सोल हर्बल कैप्सूल बवासीर के निश्चित इलाज के लिए पूर्ण और सही दवा तैयार है यह दोनों तरह की बवासीर में लाभकारी है यह मलद्वार के आसपास खुजली होने तथा मल त्याग के समय कष्ट का आभास होने का सुनिश्चित इलाज है यह मलद्वार के आसपास पीडायुक्त सूजन को समाप्त करता है यह मल्त्याग के बाद पूर्ण रुप से संतुष्टि महसूस करता है! पाईलेप्सोल कृत्रिम परिरक्षकों, रसायन, चीनी और शराब से मुक्त है !




Thursday, 10 November 2016

प्राकृतिक और सुरक्षित रूप से अपनी याददाश्त बढ़ाएं

रोजमर्रा की जिंदगी में तकनीक के बढ़ते दखल ने हमें बेहदआरामतलब बना दिया है। मोबाइल फोन, इंटरनेट से जिंदगीआसान तो हुई है लेकिन इसके नुकसान भी हैं। कोई सूचना यारहस्य यदि एक क्लिक की दूरी पर हो, तो कोई क्यों अपने दिमाग को कष्ट देना चाहेगा। लेकिन ये सुविधाएँ और ये आदतें विशेष रूप से मस्तिष्क की याद रखनेकी क्षमता पर घातक असर डाल रही हैं। और मनुष्य इन सुविधाओं का आदि बन कर अपने को नुकसान पहुंचा रहा है

 ३५ वर्ष की आयु के पश्चात याद रखने की क्षमता कमजोर होने लगती है। क्योंकि आज का मनुष्य आलसी हो गया है और सुबह देर से उठाना रात को देर से सोना, रोजाना सुबह उठ कर व्यायाम न करना आदि बुरी आदत उसके अन्दर पैदा हो गयी हैं जो शारीरिक रूप से मनुष्य पर बुरा प्रभाव डालती है और जिससे मनुष्य की स्मृति कमज़ोर हो जाती है और व्यक्ति आपने द्वारा राखी हुई वस्तुएं तक भूल जाता है अक्सर महिलाओं को घर में राखी वस्तुओं का ठीक से याद न आना भी स्मृति शक्ति के कमज़ोर होने का लक्षण है

साथ ही इसके अलावा आजकल बच्चों में भी यह परेशानी पर देखने को मिल रही है कि उन्हें काफी कुछ याद नहीं रहता वे जल्द ही पढ़ाई संबंधी बातें भूल जाते हैं। जिससे की वो परीक्षों में असफल हो जाते है और उनका भविष्य बर्बाद होने लगता है कुछ बच्चे परीक्षा में निरंतर असफल होने के कारण अपनी आत्म-हत्या तक कर लेते है तथा उनके माता पिता हमेशा यह सोचते है की शायद उनके बच्चे मेहनत नहीं करते परन्तु ऐसा नही होता बल्कि वह मेहनत करते हैं उनकी स्मृति क्षमता कमज़ोर होने के कारण वो याद किया हुआ भूल जाते हैं

 स्मृति नुकसान के कारण

३५ वर्ष की आयु से अधिक होना क्योंकि ३५ वर्ष की आयु के पश्चात याद रखने की क्षमता कमजोर होने लगती है। स्मृति नुकसान के कारणों में शामिल हैं
  • तकनीकी वस्तुओं के अधिक प्रयोग से
  • बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा सोने से
  • सुबह देर से उठाना
  • गलत आदतें पड़ जाने से
  • देर से उठना
  • अत्यधिक सहवास करना
  • देर रात तक काम करना
  • किसी भी प्रकार का नशा
  • तंबाकू का सेवन
  • रोजाना सुबह उठ कर व्यायाम न करना
  • दिन में सोना आदि से याददाश्त कमजोर हो जाती है आदि
ब्रनोल एक्स कैप्सूल


ब्रनोल एक्स एक हर्बल कैप्सूल है जो आपको बुद्धिमान बनाने में उपयोगी होता है यह विभिन्न मस्तिष्क कार्यों में सुधार करता है. स्मृति शक्ति को मजबूत बनाने और याददाश्त में सुधार करने में यह आपकी मदद करता है ब्रनोल एक्स हर्बल कैप्सूल चयनित जड़ी बूटियों के साथ तैयार किया गया है और इसके द्वारा तनाव का इलाज किया जाता है. यह आपको और अधिक स्पष्ट रूप से आराम पहुँचाने, तनाव को कम करने में आपकी मदद करता हैं और रोजमर्रा की जिंदगी में चुस्त रखता हैं. मन की शांति और सम्पुर्ण विश्वास को बढ़ावा देता है. तथा इसके प्रयोग से आपकी मानसिक शक्ति इतनी बढ़ जाती है की आप किसी भी लेख को एक बार पढने के पश्चात् सदैव याद रख सकते है

ब्रनोल एक्स” एक हर्बल कैप्सूल” है जोकि घबराहट को कम करता है उसकी प्रभावशीलता के लिए कहा जाता है. की यह एक लोगो के अटूट विश्वास का प्रतीक तथा इसमें कोई शक नहीं है की यह सबसे उत्कृष्ट प्राकृतिक मानसिक प्रदर्शन में वृद्धि करता है और मस्तिष्क के कौशल बढ़ाने के लिए आपकी मदद करता है

ब्रनोल एक्स हर्बल कैप्सूल के लाभ

  • शारीरिक फिटनेस को बनाए रखने के लिए
  • हृदय, मस्तिष्क और तंत्रिकाओं को पुनः सशक्त के लिए
  • ताज़ा और आरामदायक दिल और दिमाग के लिए
  • मन की शांति और सम्पुर्ण विश्वास को बढ़ावा देता है
  • तनाव, बेचैनी, और बुढ़ापा को दूर करता है
  • मेमोरी और मानसिक स्पष्टता को दूर करता है
  • मस्तिष्क की कोशिकाओं में संश्लेषण गतिविधि में सुधार करता है
  • मानसिक और शारीरिक काम के बाद थकान आलस्य को दूर करता है
  • बुद्धि, चेतना, और मानसिक तीक्ष्णता में सुधार करता है
  • स्मृति की धारणा शक्ति और एकाग्रता की कमी को दूर करता है
  • बेहतर मानसिक सतर्कता के लिए बहुत उपयोगी है
 इसके अतिरिक्त गुण
  • 100% प्राकृतिक सक्रिय पोषक तत्वों द्वारा निर्मित है
  • मानसिक क्षमता को बढ़ाने के लिए
  • एक उत्कृष्ट मस्तिष्क टॉनिक
  • याद रखने की क्षमता में सुधार
  • बिना किसी साइड इफेक्ट के
  • तनाव को दूर करता है
  • भारत में फ्री डिलीवरी
  • आपके विश्वास को बढ़ता है
  • केवल आवश्यक खुराक के साथ सरल उपाय
 इसके अतिरिक्त अवश्य ध्यान दे

1. रोज व्यायाम करें : नियमित व्यायाम से मस्तिष्क को ज्यादा आक्सीजन मिलती है जिससेयाददाश्त कम होने का खतरा भी घट जाता है। साथ ही कुछ ऐसे रासायन स्रावित होते हैं जोदिमाग की कोशिकाओं को नष्ट होने से बचाएंगे।
2. तनाव से बचें : तनाव दिमाग को एकाग्रचित नहीं होने देता। ज्यादा तनाव से हार्मोनकोर्टिसाल दिमाग के हिप्पोकैंपस को गंभीर नुकसान पहुंचाता है।
3. पूरी नींद लें : अच्छी नींद लेने से दिमाग तरोताजा रहता है। नींद पूरी नहीं हो पाने से दिनभरथकावट रहती है और किसी काम में ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है।
4. धूम्रपान न करें : सिगरेट पीने से मस्तिष्क तक आक्सीजन पहुंचाने वाली धमनियां सिकुड़नेलगती है जिससे दिमाग कमजोर होने लगता है।





 

Wednesday, 9 November 2016

सुरक्षित और प्रभावी डायबिटीज़ का प्राकृतिक हर्बल इलाज

खून में चीनी (बल्ड शुगर) को नियंत्रण न कर पाने के बीमारी को “डायबिटीज़” कहते हैं। डायबिटीज़ की बीमारी एक खतरनाक रोग है। यह बीमारी में हमारे शरीर में अग्नाशय द्वारा इंसुलिन का स्त्राव कम हो जाने के कारण होती है।रक्त ग्लूकोज स्तर बढ़ जाता है, साथ ही इन मरीजों में रक्त कोलेस्ट्रॉल, वसा के अवयव भी असामान्य हो जाते हैं। धमनियों में बदलाव होते हैं। इन मरीजों में आँखों, गुर्दों, स्नायु, मस्तिष्क, हृदय के क्षतिग्रस्त होने से इनके गंभीर, जटिल, घातक रोग का खतरा बढ़ जाता है। डायबिटीज़ होने पर शरीर को भोजन से ऊर्जा प्राप्त करने में कठिनाई होती है। पेट फिर भी भोजन को ग्लूकोज में बदलता रहता है। ग्लूकोज रक्त धारा में जाता है। किन्तु अधिकांश ग्लूकोज कोशिकाओं में नही जा पाते जिसके कारण इस प्रकार हैं :
  • इंसुलिन की मात्रा कम हो सकती है।
  • इंसुलिन की मात्रा अपर्याप्त हो सकती है किन्तु इससे रिसेप्टरों को खोला नहीं जा सकता है।
  • पूरे ग्लूकोज को ग्रहण कर सकने के लिए रिसेप्टरों की संख्या कम हो सकती है।
  • यह रोग, खून के जांच से पता चलता है। 
 डायबिटीज़ के कारण
  • खून में चीनी (बल्ड शुगर) को सामान्य स्तर में नियंत्रित होना आवश्यक है। इसके लिये शरीर में अनेक अंग और होरमोंस मिलकर काम करते हैं। अगर आपका शरीर यह नियंत्रण के शक्ति खो देता है, तो आपको “डायबिटीज़” हो जाता है।
  • आधिकांश समय (90%) यह गर्भ के शुरुआत में हो सकता है। लेकिन यह जरूरी नहीं है कि आपको गर्भ के अंत में “डायबिटीज़” नहीं हो सकता है।
  • कुछ लोग को पहले से “डायबिटीज़” होता है, जिसके बारे में वो अवगत नहीं होते हैं। यह जब गर्भ के दौरान बढ़ जाता है, तो जांच के बाद पहचाना जाता है।
  • गर्भ के होरमोंस जैसे कि “प्रोजेस्टेरोन” और “प्लासेंटल लेक्टोजन”, शरीर में उत्तपन “इंसुलिन” के विपरीत काम करते हैं। यह आपको “डायबिटीज़” का अवस्था दे सकता है। 
 डायबिटीज़ की संभावना
  • गर्भ के अनेक समस्याओं में से “जेस्टेशनल डायबिटीज़” सबसे ज्यादा लोगों में होता है।
  • “जेस्टेशनल डायबिटीज़” करीब 20 में से 1 मां को हो सकता है।
  • भारतीय लोगों में “जेस्टेशनल डायबिटीज़” अधिक होता है।
  • अगर मां को उपर लिखे हुय कोई भी स्थिती है, तो उसका “जेस्टेशनल डायबिटीज़” होने का रिस्क और बढ़ जाता है।
  • गर्भ के दौरान अगर आपको “डायबिटीज़” हो जाता है, तब उसे “गर्भ में डायबिटीज़” या “जेस्टेशनल डायबिटीज़” कहते हैं। इसके लिये यह जरूरी नहीं है कि आपको उसके लिये इंसुलिन का दवा लेना पड़े या नहीं, या यह रोग गर्भ के बाद रहता है या नहीं। 

हरबो डायीबिकन कैप्सूल स्वाभाविक रूप से खून में शुगर का स्तर मेन्टेन करता है
जिस कारण आप स्वस्थ और शांतिपूर्ण जीवन जी सकते है

गर्भवती महिलाओं के लिए समस्या 

  • प्रसव के दौरान, बड़ा बच्चा होने के कारण, आपरेशन (cesarean section) हो सकता है।
  • प्रसव के दौरान, बड़ा बच्चा होने के कारण, प्रसव पीड़ा हो सकता है
  • आगे जिंदगी में, “डायबिटीज़”, होने का संभावना बहुत अधिक होता है। करीब 2 में से 1 महिला को, जिसे “जेस्टेशनल डायबिटीज़” होता है, आगे जाकर “डायबिटीज़” हो सकता है।
 बच्चे को खतरा

  • सामन्य से अधिक, बड़ा बच्चा हो सकता है। इसे मेक्रोसोमिया (Macrosomia) कहते हैं।
  • अन्य लोगों के अनुपात में, जिन मां को “जेस्टेशनल डायबिटीज़” होता है, उनके बच्चे को मेक्रोसोमिया होने का 2 से 3 गुना अधिक संभावना होता है।
  • बड़ा बच्चा से प्रवस के कारण बच्चे के हाथ के नस को चोट (nerve damage) पहुंच सकता है, जो हाथ पर असर कर सकता है। यह ठीक होने में एक साल लग सकता है।
  • बड़ा बच्चा से प्रवस के कारण बच्चे के गर्दन का हड्डी टूट सकता है (clavicular fracture), जो हाथ पर असर कर सकता है। यह ठीक होने में दो महीना लग सकता है। 
 डायबिटीज़ का प्रभावी हर्बल इलाज


प्रकृति ने किसी भी बीमारी से लड़ने के लिए हमें शक्तिशाली दवाई प्रदान की है. जिनको हम घास-फूस समजते हैं दरअसल प्राचीन काल से इन्ही दवाओं के द्वारा इलाज किया जाता रहा है और हमारे पूर्वज इन्ही दवाओं का प्रयोग करते थे तब तक किसी रसायन की खोज नहीं हुई थी और लोग जड़ी-बूटियों के प्रयोग से स्वस्थ रहते थे और दीर्घ आयु होते थे परन्तु रसायन की खोज हो जाने के पश्चात् चिकित्सा के रूप निरन्तर परिवर्तन होते रहे और आज चिकित्सा में रसायन का प्रयोग किया जाता है ये रसायन तुरंत उपचार करने में सक्षम हो सकते है परन्तु यह रसायन हमारे शरीर के अन्य भागो पर बुरा प्रभाव डालते है अतः अब लोग चिकित्सा के पुराने तरीको और दवाओं को मान्यता दे रहें है और भारत भूमि तो इन दवाओं के प्राप्त करने का मुख्य केन्द्र है पुरे विश्व में आज भारत में पाई जाने वाली इस अदभुत दवाओं का प्रयोग विदेशों में भी किया जाने लगा है

हकीम हाशमी जो उपयोगी जड़ी बूटियों की खोज में अपने पूरे जीवन समर्पित कर नई औषधियां विकसित की है, जोकि विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रणाली को भी औषधीय पहलू की कई पीढ़ियों से बंद टिप्पणियों पर आधारित है. आधुनिक अनुसंधान उपकरण, जड़ी बूटी पर औषधीय अध्ययन की मदद से, हकीम हाशमी ने कई तरह की चिकित्सा के पुराने फार्मूलों के संशोधन कर डायबिटीज़ के इलाज के लिए शक्तिशाली और नई दवाओं का शोध कर लाखो लोगो को उपचार प्रदान किया है. यदि कोई डायबिटीज़ रोगी मना की गयी वस्तुओं का सेवन करता है तब वह ऐसा करके अपनी मौत को दावत दे रहा है ऐसी स्थिति में आप हमारी दवा का सेवन कर इस समस्या से मुक्ति पा सकते हैं यूनानी सिस्टम राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के अनुसार, “यूनानी दवा विभिन्न समस्यों के इलाज का एक अभिन्न हिस्सा है”

यूनानी चिकित्सा में की तरह, जड़ी बूटियों के विभिन्न प्रणालियों में विभिन्न तरीकों से उपयोग किया जाता है. हालांकि उनके उपयोग का अंतिम उद्देश्य यह है कि वे सीधे हमारे शरीर रासायनिक असंतुलन को संतुलित करते हैं हरबो डायीबिकन कैप्सूल डायबिटीज़ विरोधी यूनानी हर्बल में ५०००० सालो से अधिक पुरानी जड़ी बूटी का एक संयोजन है. हरबो डायीबिकन कैप्सूल डायबिटीज़ के लिए प्रभावी रूप से कारक है और डायबिटीज़ नियंत्रण के लिए अलग रूप में काम करता है. हरबो डायीबिकन कैप्सूल एक हर्बल व बिना किसी सहप्रभाव के और अपक्षयी जटिलताओं जो डायबिटीज़ के परिणाम होते हैं उन सभी से मुक्ति दिलाने में मदद करता है. हरबो डायीबिकन कैप्सूल सुरक्षित और प्रभावी है और डायबिटीज़ का शीघ्र ही उपचार करते है.

हरबो डायीबिकन कैप्सूल प्रतिरोध पर काबू पाने में मदद करता है मौखिक जब अनियंत्रित डायबिटीज़ के मामलों के लिए सहायक के रूप में इस्तेमाल किया. हरबो डायीबिकन कैप्सूल डायबिटीज़ रोगियों में होने वाली कमजोरी, चक्कर, पैरों में दर्द, शरीर में दर्द, आदि शिकायतों से राहत प्रदान करने में मदद करता है

हरबो डायीबिकन कैप्सूल के लाभ

  • यह सभी प्रकार के हृदय रोगों में लाभदायक है
  • यह हृदय के साथ ही तंत्रिका संरचनाओं के ऊतकों को शक्ति प्रदान करता है
  • यह सूजन में लाभ प्रदान करता है
  • उच्च रक्तचाप को कम करता है
  • तनाव, थकान और सामान्य कमजोरी में प्रभावी है
  • सीरम कोलेस्ट्रॉल को कम करता है
  • शरीर की कमजोरी को दूर करता है
  • इंसुलिन और ग्लूकोज का स्तर मेन्टेन करता है
 सवाल और जवाब

 हरबो डायीबिकन कैप्सूल क्या है?
हरबो डायीबिकन कैप्सूल एक हर्बल दवा है जो अपक्षयी जटिलताओं जो डायबिटीज़ के परिणाम होते हैं उन सभी से मुक्ति दिलाने में मदद करता है. हरबो डायीबिकन कैप्सूल सुरक्षित और प्रभावी है और डायबिटीज़ का शीघ्र ही उपचार करता है. तथा यह हरबो डायीबिकन कैप्सूल डायबिटीज़ रोगियों में होने वाली कमजोरी, चक्कर, पैरों में दर्द, शरीर में दर्द, आदि शिकायतों से राहत प्रदान करने में मदद करता है

क्या यह एक प्राकृतिक दवाई है?
हरबो डायीबिकन कैप्सूल एक 100% हर्बल जड़ी बूटी युक्त एक कैप्सूल के रूप में दवाई है जोकि डायबिटीज़ रोगियों में होने वाली कमजोरी, चक्कर, पैरों में दर्द, शरीर में दर्द, आदि शिकायतों से राहत प्रदान करने में मदद करता है

 क्या प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में मदद करते हैं ?
सभी प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में प्रकिर्तिक रूप से मदद करते है इसमें किसी भी रोग का उपचार धीरे धीरे प्रारम्भ होता है और कुछ ही समय में पूरी तरह से समाप्त भी हो जाता है

क्यों यह प्रतिस्पर्धी उत्पादों से बेहतर है?
सभी प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में प्रकिर्तिक रूप से मदद करते है इसमें किसी भी रोग का उपचार धीरे धीरे प्रारम्भ होता है और कुछ ही समय में पूरी तरह से समाप्त भी हो जाता है जबकि अन्य उत्पाद तुरन्त फायदा पहुंचा सकते हैं परन्तु अन्य सभी उत्पादों के बहुत अधिक दुष्प्रभाव सामने आते हैं तथा अभी तक हमारे किसी भी उत्पाद का कोई भी दुष्प्रभाव सामने नही आया है अतः हमारे सभी उत्पाद अन्य उत्पादों से बहुत अधिक बेहतर हैं

क्या इस दवाई का कोई सह-प्रभाव भी है ?
नहीं, इस दवा के हर्बल होने के कारण अब तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. हरबो डायीबिकन कैप्सूल100% जड़ी बूटीयों पर आधारित है तथा यह प्रयोग करने के लियें बहुत अधिक सुरक्षित है

हरबो डायीबिकन कैप्सूल में कौन सा रसायन प्रयोग किया जाता हैं?
यह एक हर्बल उत्पाद है जिसमे किसी भी प्रकार का कोई रसायन प्रयोग नही किया जाता है इसमें केवल उपयोगी एवं कीमती जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है जोकि विश्व के विभिन्न भागों से लायी जाती हैं 

 मेरा आर्डर देने के कितने दिन के बाद मुझे यह प्राप्त हो जाएगा?
आप आर्डर देने के 5 -7 दिनों के पश्चात् ही अपना पार्सल प्राप्त कर सकते है. ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय आदेश 1-2 सप्ताह के भीतर ही प्राप्त हो जाते हैं. हमें आपके देश में नियंत्रण नहीं है, इसलिए आर्डर प्राप्त करने में कुछ अतिरिक्त समय भी लग सकता है.

पैकेज विचारशील है?
हाँ, सभी आदेश विचारशील पैकेजिंग में भेजे जाते है.

देखभाल
डायबिटीज़ रोगियों को अपने शरीर की स्वयं देखभाल करनी चाहिये। उन्हें चाहिये कि हल्के साबुन या हल्के गरम पानी से नियमित स्नान करें। अधिक गर्म पानी से न नहाएं और नहाने के बाद शरीर को भली प्रकार पोछें तथा त्वचा की सिलवटों वाले स्थान पर विशेष ध्यान दें। वहां पर अधिक नमी जमा होने की संभावना होती है। जैसा कि बगलों, उरुमूल तथा उंगलियों के बीच। इन जगहों पर अधिक नमी से फफूंदी संक्रमण की अधिकाधिक संभावना होती है। त्वचा सूखी न होने दें। जब आप सूखी, खुजलीदार त्वचा को रगड़ते हैं तो आप कीटाणुओं के लिए द्वार खोल देते हैं। पर्याप्त तरल पदार्थों को लें जिससे कि त्वचा पानीदार बनी रहे।






Tuesday, 8 November 2016

उच्च रक्त चाप की समस्या

उच्च रक्त चाप एक ऐसी जिस्मानी स्थिति है जिसे आमतौर से नजरंदाज कर दिया जाता है। बदकिस्मती यह है कि दुनिया भर में जितने लोग इससे मर रहे हैं, उतने किसी और बीमारी से नहीं। इससे भी ज्यादा खराब खबर यह है कि भारत व अन्य विकासशील देशों में उच्च रक्त चाप के कारण मृत्युदर में लगातार वृद्धि हो रही है।

अनियमित दिनचर्या और जीवन शैली की वजह से होने वाला तनाव आज शहरी आबादी और खासकर युवाओं में उच्च रक्त चाप की समस्या के रूप में तेजी से सामने आ रहा है।भारत की लगभग ३० प्रतिशत शहरी आबादी इस रोग की चपेट में बताई गई है। जबकि १० से १२ प्रतिशत ग्रामीण इस रोग से पीडित हैं। चिकित्सा विग्यान में निम्न रक्त चाप की तुलना में उच्च रक्त चाप ज्यादा नुकसानदेह बताया गया है। कारण ये है कि उच्च रक्त चाप से रोगी में अन्य कई तरह की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। ज्यादा रक्त चाप की परिणिति लकवा अथवा हार्ट अटेक में भी होती है। भारत में ३५ वर्ष से ज्यादा के लोगों में यह रोग तेजी से प्रवेश कर रहा है। यह चिंताजनक है क्योंकि यही आबादी देश की उत्पादक आबादी है।

रक्तचाप धमनी की दीवारों पर लागू होने वाले बल का माप होता है

रक्त चाप के अधिकतम दवाब को सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर कहते हैं। जबकि कम से कम दाब को डायस्टोलिक प्रेशर कहते हैं।आदर्श ब्लड प्रेशर १२०/८० याने ऊंचे में १२० और नीचे में ८० है। युवा वर्ग में अक्सर डायस्टोलिक प्रेशर बढा हुआ पाया जाता है जबकि अधिक उम्र के लोगों में सिस्टोलिक प्रेशर ज्यादा देखने में आता है। उच्च रक्त चाप के चलते रोगी में हृदय संबंधी विकार,किडनी के रोग,नाडी मंडल की तकलीफ़ें आदि कई तरह की जटिलताएं पैदा हो सकती हैं।उच्च रक्त चाप से ब्रेन हेम्रेज जैसी अत्यंत गंभीर समस्या भी उत्पन होते देखी जा रही है।

 उच्च रक्त चाप की मुख्य कारण
  • खानपान में अधिक नमक का सेवन
  • मोटापा
  • डायबिटीज या मधुमेह
  • तनाव
  • जेनेटिक फैक्टर्स
  • महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन
 उच्च रक्त चाप के कारण होने वाले कुछ संभावित प्रभाव

अगर समय रहते इसे उच्च रक्त चाप को नियंत्रित न किया जाए तो ये न केवल आपके ह्वदय बल्कि अन्य अंगों पर भी असर डाल सकता है, जिससे वे सामान्य ढंग से काम नहीं कर पाते। जैसे-

स्ट्रोक
उच्च रक्त चाप स्ट्रोक का जोखिम पैदा करता है। इसके कारण मस्तिष्क की कोई कमजोर नस फट सकती है, इससे मस्तिष्क में रक्त स्त्राव हो सकता है, इसे स्ट्रोक कहते हैं।

आंखों पर प्रभाव
उच्च रक्त चाप के कारण आंख की रक्त वाहिकाएं फट सकती हैं या उनमें रक्त स्त्राव हो सकता है। इससे नजर धुंधली हो सकती है या दिखना काफी कम हो जाता है, जिससे अंधापन भी हो सकता है।

किडनी में प्रॉब्लम
किडनी हमारे शरीर में से अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालती है। उच्च रक्त चाप के कारण किडनी की रक्त वाहिकाएं संकरी और मोटी हो सकती है। इससे किडनी अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और खून में अपशिष्ट पदार्थ जमा होने लगते हैं।

हार्ट अटैक
उच्च रक्त चाप हार्ट अटैक के सिलसिले में काफी बड़ा जोखिम खड़ा करता है। अगर ह्वदय को संकरी या सख्त हो चुकी रक्त वाहिकाओं के कारण पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती तो छाती में दर्द या एन्जाइना हो सकता है। अगर खून का बहाव रूक जाए तो हार्ट अटैक हो सकता है।

कंजेस्टिव हार्ट फेलियर
उच्च रक्त चाप के कारण कंजेस्टिव हार्ट फेलियर का खतरा रहता है। ये एक गंभीर दशा है, जिसमें ह्वदय धड़कते-धड़कते इतना थक जाता है कि ये शरीर की जरूरतों के मुताबिक पर्याप्त खून पम्प नहीं कर पाता।

वस्क्युलर डिमेंशिया
इसके कारण समय बीतते-बीतते, मस्तिष्क को खून की आपूर्ति और कम होती जाती है और व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति घटती जाती है।

पैरिफेरल ब्लड वैसल डिजीज
पैरों तक खून का बहाव प्रभावित होता है, जिससे दर्द तथा अन्य समस्याएं हो सकती हैं, कभी-कभी गैंगरीन भी हो जाता है।

 एच-टी-निल कैप्सूल

हकीम हाशमी जो उपयोगी जड़ी बूटियों की खोज में अपने पूरे जीवन समर्पित कर दिल के लिए उपयोगी दवा विकसित की हैए जोकि विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रणाली को भी औषधीय पहलू की कई पीढ़ियों से बंद टिप्पणियों पर आधारित हैण् आधुनिक अनुसंधान उपकरणए जड़ी बूटी पर औषधीय अध्ययन की मदद सेए हकीम हाशमी ने कई तरह की चिकित्सा के पुराने फार्मूलों के संशोधन कर उच्च रक्त चाप के इलाज के लिए शक्तिशाली और नई दवाओं का शोध कर लाखो लोगो को उपचार प्रदान किया है ण् यदि आप उच्च रक्त चाप का इलाज करना चाहते हैं तो आप यह कार्य हमारी नई दवा के द्वारा बहुत ही सरलता के साथ कर सकते हैं यूनानी सिस्टम राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के अनुसार यूनानी दवा विभिन्न समस्यों के इलाज का एक अभिन्न हिस्सा है रक्षित रखता है एच-टी-निल कैप्सूल एक अद्वितीय स्वस्थ दिल बनाए रखने में मदद करता है यह तनाव और घबराहट के प्रभावों को कम कर देता हैण् यह प्रभावी हृदय कामकाज को बढ़ावा देता है और रक्तचाप नियंत्रित करता हैण् इस उन्नत हर्बल तैयारी हृदय के लिए रक्त परिसंचरण में सुधार और दिल भी सुरक्षित रखता है!

एच-टी-निल कैप्सूल के लाभ

  • ऊर्जा का स्तर बढ़ाएँ और स्वास्थ को सुधारे
  • उच्च रक्तचाप को कम करे
  • हृदय प्रणाली की रक्षा
  • हाथ और पैर में झुनझुनी परिसंचरण को सुधारें
  • दिल के पंप करने की क्षमता में सुधार करे
  • रक्त ‘स्थिरता’ और धमनियों के माध्यम से रक्त के प्रवाह में सुधार करे
  • तनाव और तंत्रिका तनाव को कम करे
  • एंजाइना के लक्षण से राहत
  • स्ट्रोक और दिल के दौरा पड़ने से आपकी सुरक्षा करे
  • यह उच्च रक्त चाप के इलाज के लिए विशेष जड़ी बूटियों द्वारा निर्मित हैं
इस दवा से अपने दिल पर काम का बोझ कम करने और अपने रक्त वाहिकाओं खोलते हैं, यह ब्लड प्रेशर ठीक करने में बहुत मददगार है।यह रक्त का थक्का नहीं जमने देती है। धमनी की कठोरता में लाभदायक है। रक्त में ज्यादा कोलेस्ट्ररोल होने की स्थिति का समाधान करती है।

 उच्‍च रक्‍त दाब को कम करने के कुछ सामान्‍य उपाय
  • धूम्रपान न करें।
  • अपने शरीर का वजन स्‍वस्‍थ्‍य स्‍तर तक रखें।
  • स्‍वस्‍थ भोजन लें जिसमें फलों, सब्जियों और कम वसा वाले दुग्‍ध पदार्थों की मात्रा अधिक हो।
  • कोई शारीरिक कार्यकलाप करें।
  • मद्यपान संयमित मात्रा में करें।

 




कार्डियोटोन-एक्स-एल

हृदय शरीर का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। मानवों मेंयह छाती के मध्य में, थोड़ी सी बाईं ओर स्थित होता है और एक दिन में लगभग एक लाख बार एवं एक मिनट में 60-90 बार धड़कता है। यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता करता है।हृदय को पोषण एवं ऑक्सीजन, रक्त के द्वारा मिलता है जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है। यह अंग दो भागों में विभाजित होता है, दायां एवं बायां। हृदय के दाहिने एवं बाएं, प्रत्येक ओर दो चैम्बर (एट्रिअम एवं वेंट्रिकल नाम के) होते हैं। कुल मिलाकर हृदय में चार चैम्बर होते हैं। दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है एवं उसे फेफडों में पम्प करता है और रक्त फेफडों में शोधित होकर ह्रदय के बाएं भाग में वापस लौटता है जहां से वह शरीर में वापस पम्प कर दिया जाता है। चार वॉल्व, दो बाईं ओर (मिट्रल एवं एओर्टिक) एवं दो हृदय की दाईं ओर (पल्मोनरी एवं ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक-दिशा के द्वार की तरह कार्य करते हैं।

हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन चाहिए। जब एक या ज्यादा आर्टरी अवरूद्ध हो जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस अवस्था को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। ( इस सिलसिले में कुछ लोगो को भ्रम हो सकता है कि दिल से संबंधित और भी समस्याएं होती हैं जैसे – हार्ट वॉल्व की समस्या, कंजीनाइटल हार्ट प्रॉब्लम आदि, और जब हम दिल की बीमारियों की बात करते हैं तो आमतौर पर इन्हें शामिल नही किया जाता परन्तु यह समस्याएँ भी हृदय रोग से सम्बंधित होती है)

 हृदय रोग का कारण

कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कार्डियो वस्क्युलर बीमारी के ज्यादातर मामलों की मुख्य वजह ये है कि अथीरोमा नामक एक वसा धमनियों के भीतर जम जाती है। इस अवस्था में अथीरोमा की सतह धमनियों के भीतर की ओर जम जाती है। वक्त के साथ-साथ ये सतह बढ़ती जाती है और खून के बहाव में रूकावट आने लगती है और एंजाइना का दर्द होने लगता है या इससे धमनियों में जबर्दस्त रूकावट आ जाती है। ऐसा ज्यादातर तब होता है जब इस सतह को अनियमित और बढ़े हुए भाग के कारण खून का थक्का बन जाता है। जब ऐसा होता है तो हृदय की मांसपेशी के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है और वह क्षतिग्रस्त हो जाता है। इस अवस्था को ही हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं। अगर ये क्षति सीमित हो तो हृदय अपनी पहली वाली अवस्था में आ सकता है लेकिन अगर नुकसान ज्यादा हो तो मौत भी हो सकती है। मस्तिष्क में धमनियों के क्षतिग्रस्त होने से भी रक्त का बहाव नही हो पाता जिससे स्ट्रोक यानी लकवा या मौत हो सकती है। धूम्रपान और ब्लड कोलैस्ट्रोल की बढ़ी हुई मात्रा के साथ अगर सैचुरेटिड फैट का भी काफी सेवन किया जाता है तो इन दोनों ही कारणों से इन सतहों, कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।

 संकेत और लक्षण

  • जन्मजात हृदय की खराबियों वाले कई व्यक्तियों में बहुत ही कम या कोई लक्षण नहीं पाये जाते।
  • गंभीर प्रकार की खराबियों में लक्षण दिखाई देते हैं- विशेषकर नवजात शिशुओं में। इन लक्षणों में सामान्यतः तेजी से सांस लेना, त्वचा, ओठ और उंगलियों के नाखूनों में नीलापन, थकान और खून का संचार कम होना शामिल है।
  • बड़े बच्चे व्यायाम करते समय या अन्य क्रियाकलाप करते समय जल्दी थक जाते हैं या तेज सांस लेने लगते हैं।
  • दिल के दौरे के लक्षणों में व्यायाम के साथ थकान शामिल है। सांस रोकने में तकलीफ, रक्त जमना और फेफड़ों में द्रव जमा होना तथा पैरों, टखनों और टांगो में द्रव जमा होना।
  • जब तक बच्चा गर्भाशय में रहता है या जन्म के तुरंत बाद तक गंभीर हृदय की खराबी के लक्षण साधारणतः पहचान में आ जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में यह तब तक पहचान में नहीं आते जबतक कि बच्चा बड़ा नहीं हो जाता और कभी-कभी तो वयस्क होने तक यह पहचान में नहीं आता।
 कार्डियोटोन-एक्स-एल

हकीम हाशमी जो उपयोगी जड़ी बूटियों की खोज में अपने पूरे जीवन समर्पित कर दिल के लिए उपयोगी दवा विकसित की हैए जोकि विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रणाली को भी औषधीय पहलू की कई पीढ़ियों से बंद टिप्पणियों पर आधारित हैण् आधुनिक अनुसंधान उपकरणए जड़ी बूटी पर औषधीय अध्ययन की मदद सेए हकीम हाशमी ने कई तरह की चिकित्सा के पुराने फार्मूलों के संशोधन कर हृदय रोग के इलाज के लिए शक्तिशाली और नई दवाओं का शोध कर लाखो लोगो को उपचार प्रदान किया है ण् यदि आप हृदय रोग का इलाज करना चाहते हैं तो आप यह कार्य हमारी नई दवा के द्वारा बहुत ही सरलता के साथ कर सकते हैं यूनानी सिस्टम राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के अनुसार यूनानी दवा विभिन्न समस्यों के इलाज का एक अभिन्न हिस्सा है रक्षित रखता है

कार्डियोटोन-एक्स-एल अथीरोमा नामक वसा को धमनियों के भीतर जमने नहीं देता है। और यदि यह वसा पहले से धमनी में जमा होती है तो कार्डियोटोन-एक्स-एल इस वसा को समाप्त करता है और खून के बहाव में आने वाली रूकावट को दूर करता है और एंजाइना के दर्द से राहत प्रदान करता है तथा धमनियों में किसी भी प्रकार कि रूकावट को समाप्त करता है।

कार्डियोटोन-एक्स-एल धमनियों में खून का थक्का बन जाने को समाप्त करता है। तथा हृदय की मांसपेशी के किसी भी हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाने को दूर करता है तथा हृदय की मांसपेशीयों को क्षतिग्रस्त होने से भी रोकता है। यह हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा पड़ जाने कि संभवना को बहुत कम कर देता है। तथा ये हृदय में होने वाली क्षति को सीमित करता है जिससे कि हृदय अपनी पहली वाली अवस्था में आ जाता है ।

कार्डियोटोन-एक्स-एल मस्तिष्क में धमनियों के क्षतिग्रस्त होने को समाप्त करता है तथा मस्तिष्क में रक्त के बहाव को ठीक करता है कार्डियोटोन-एक्स-एल कोरोनरी आर्टरी डिजीज और स्ट्रोक के खतरे को कम करता है

कार्डियोटोन-एक्स-एल कैप्सूल के लाभ

  • 100% प्राकृतिक सक्रिय पोषक तत्वों द्वारा निर्मित है
  • अथीरोमा नामक वसा को धमनियों के भीतर जमने नहीं देता है
  • मस्तिष्क में रक्त के बहाव को ठीक करता है
  • याद रखने की क्षमता में सुधार
  • दिल के पंप करने की क्षमता में सुधार करे
  • रक्त ‘स्थिरता’ और धमनियों के माध्यम से रक्त के प्रवाह में सुधार करे
  • यह आपके हार्मोन के असंतुलन को विनियमित करने के लिए आपकी मदद करता है
  • तनाव और तंत्रिका तनाव को कम करे
  • एंजाइना के लक्षण से राहत
  • यह 100% सुरक्षित है

सवाल और जवाब
हृदय रोग क्या है?
हृदय की मांसपेशिया जीवंत होती है और उन्हें जिन्दा रहने के लिए आहार और ऑक्सीजन चाहिए। जब एक या ज्यादा आर्टरी अवरूद्ध हो जाती है तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नही मिल पाती। इस अवस्था को हार्ट अटैक यानी दिल का दौरा कहते हैं।


हृदय रोग के प्रकार क्या है ?
जब हम दिल की बीमारी की बात करते है तब आमतौर पर लोगों को कोरोनरी धमनी (दिल के प्रमुख धमनियों) का संकुचन ही समझा जाता है लेकिन हृदय रोग कोरोनरी धमनियों का संकुचन ही नहीं होता बल्कि इससे सम्भंधित कुछ समस्याएँ भी होती हैं इसके अतिरिक्त हृदय रोग के अन्य प्रकार उदाहरण के लिए निम्न हैं जैसे जन्मजात हृदय रोग, एनजाइना कोरोनरी धमनी (सीएडी) रोग; हृदय का फैलाव, दिल का दौरा (myocardial infarction), हार्ट विफलता; वाल्व आगे को बढ़ जाना, और फेफड़े के स्टेनो, हृदय रोग दुनिया में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए मौत का प्रमुख कारण है.

क्यों यह प्रतिस्पर्धी उत्पादों से बेहतर है?
सभी प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में प्रकिर्तिक रूप से मदद करते है इसमें किसी भी रोग का उपचार धीरे धीरे प्रारम्भ होता है और कुछ ही समय में पूरी तरह से समाप्त भी हो जाता है जबकि अन्य उत्पाद तुरन्त फायदा पहुंचा सकते हैं परन्तु अन्य सभी उत्पादों के बहुत अधिक दुष्प्रभाव सामने आते हैं तथा अभी तक हमारे किसी भी उत्पाद का कोई भी दुष्प्रभाव सामने नही आया है अतः हमारे सभी उत्पाद अन्य उत्पादों से बहुत अधिक बेहतर हैं

क्या पैकेज विचारशील है?
हाँ, सभी आदेश विचारशील पैकेजिंग में भेजे जाते है.

क्या इस दवाई का कोई सह-प्रभाव भी है?
नहीं, इस दवा के हर्बल होने के कारण अब तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. कार्डियोटोन-एक्स-एल कैप्सूल100% जड़ी बूटीयों पर आधारित है तथा यह प्रयोग करने के लियें बहुत अधिक सुरक्षित है

कार्डियोटोन-एक्स-एल कैप्सूल में कौन सा रसायन प्रयोग किया जाता हैं?
यह एक हर्बल उत्पाद है जिसमे किसी भी प्रकार का कोई रसायन प्रयोग नही किया जाता है इसमें केवल उपयोगी एवं कीमती जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है जोकि विश्व के विभिन्न भागों से लायी जाती हैं

मेरा आर्डर देने के कितने दिन के बाद मुझे यह प्राप्त हो जाएगा?
आप आर्डर देने के 5 -7 दिनों के पश्चात् ही अपना पार्सल प्राप्त कर सकते है. ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय आदेश 1-2 सप्ताह के भीतर ही प्राप्त हो जाते हैं. हमें आपके देश में नियंत्रण नहीं है, इसलिए आर्डर प्राप्त करने में कुछ अतिरिक्त समय भी लग सकता है.


मुगले आज़म क्रीम

उत्तेजित अवस्था में शिश्न की लम्बाई ओर मोटाई बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करती है कि उत्थान केन्द्र कितना सशक्त है। जैसे ही मस्तिष्क में काम जाग्रत होता है वैसे ही वह उत्थान केन्द्र को लिंग के स्पंजी टिशू में रक्त भेजने का आदेश भेजता है। यदि उत्थान केन्द्र सशक्त है तो वह उसी अनुपात में उतना ही अधिक रक्त लिंग में एकत्रित करने में समर्थ होता है जिसके फलस्वरूप लिंग का आकार उसी अनुपात में बड़ा हो जाता है। अगर उत्थान केन्द्र दुर्बल हो चुका है तो लिंग की लम्बाई, चैड़ाई अपेक्षाकृत कम होती है। नपुंसकता की ओर बढ़ रहे युवकों में जहां काम केन्द्र दुर्बल पड़ जाते हैं वहां उत्थान केन्द्र विशेष रूप से प्रभावित होता है और दुर्बल उत्थान केन्द्र पर्याप्त मात्रा में लिंग में रक्त एकत्रित करने में असमर्थ होने के कारण लिंग का आकार प्राकृत रूप में नहीं आ पाता है। जैसे-जैसे उत्थान केन्द्र की दुर्बलता बढ़ती जाती है वैसे-वैसे लिंग की लम्बाई और चौड़ई कम होती जाती है। उत्तेजित लिंग के सामान्य से कम आकार को देखकर निष्कर्ष निकालना चाहिए कि उत्थान केन्द्र निर्बल हो चुका है। यदि यह दुर्बलता बढ़ती रहती है तो एक अवस्था ऐसी आती है जब उत्थान केन्द्र में बिल्कुल रक्त नहीं भर पाता और परिणामस्वरूप लिंग में उत्थान नहीं होता। इसको ही पूर्ण नपुंसकता कहते हैं। ऐसी अवस्था में मुगले आज़म क्रीम का प्रयोग करने से उत्थान केन्द्र को मज़बूत करता है तथा लिंग के बड़े प्रकोष्ट (कार्पस केवेरनोसम) में रक्त इकट्टा होने लगता है तथा इस क्रीम के प्रयोग से स्पंजी उतक को मजबूती प्राप्त होती है जिससे यह नसों पर दाब बना कर रक्त को वापस बाहर नहीं जाने देता तथा लिंग का आकर को बड़ा तथा खड़ा रखता है
  • समय से पहले या स्खलन को रोकता है
  • यौन रुचि उत्तेजित करने में सहयता करता है
  • रक्त प्रवाह को वृद्धि करने में मदद करता है
  • पुरुष यौन अंगों के कार्य को बढ़ाता है
  • क्षमता बढ़ाता है तथा आत्मविश्वास
  • ग्रेटर सेक्स ड्राइव प्रदान करता है
  • चिकित्सक द्वारा स्वीकृत और अनुशंसित
  • बहुत आसान शिपिंग और बिलिंग
  • बिना पंप्स, बिना कोई सर्जरी, न ही व्यायाम
  • बिना कोई दुष्प्रभाव के साथ १०० % सुरक्षित
  • लिंग की नसों को मज़बूत बनाने में सहयता करता है
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  • जीवन शक्ति को पुनर्स्थापित करने में आपकी सहयता करता है
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मुगले आज़म क्रीम सबसे प्रभावी उत्सर्जन और समयपूर्व स्खलित होने की समस्या से पीड़ित लोगों के इलाज के लिए बनाया गया है. यह आपके स्वास्थ्य को स्वाभाविक रूप से सही करने में आपकी मदद करता है. यह विशिष्ट शक्तिशाली परीक्षण किया और चुनी हुई जड़ी बूटियों और वनस्पति का एक तैयार मिश्रण है

मुगले आज़म क्रीम कितनी प्रभावशाली होता है?
शारीरिक अथवा मानसिक कारणों से लिंग के खड़े न हो पाने के रोग में मुगले आज़म क्रीम का उपयोग किया जाता है। जिन पुरूषों को हृदय तंत्री का रोग, मौल्लिटस मधुमेह, उच्च रक्त चाप, अवसाद हृदय की बाईपास सर्जरी हो चुकी हो और जो पुरूष अवसाद मुक्ति या रक्त चाप से मुक्ति देने वाली दवाएं लेते हैं उन में लिंग को खड़ा करने के लिए इसे प्रभावशाली माना जाता है। चिकित्सा प्रयोगों में, देखा गया है कि मधुमेह वाले 60 प्रतिशत और बिना मधुमेह वाले 80 प्रतिशत लोगों को मुगले आज़म क्रीम से लिंग के खड़े होने में बेहतर मदद मिलती है। 

क्या प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में मदद करते हैं ?
सभी प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में प्रकिर्तिक रूप से मदद करते है इसमें किसी भी रोग का उपचार धीरे धीरे प्रारम्भ होता है और कुछ ही समय में पूरी तरह से समाप्त भी हो जाता है  

क्यों यह प्रतिस्पर्धी उत्पादों से बेहतर है?
सभी प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में प्रकिर्तिक रूप से मदद करते है इसमें किसी भी रोग का उपचार धीरे धीरे प्रारम्भ होता है और कुछ ही समय में पूरी तरह से समाप्त भी हो जाता है जबकि अन्य उत्पाद तुरन्त फायदा पहुंचा सकते हैं परन्तु अन्य सभी उत्पादों के बहुत अधिक दुष्प्रभाव सामने आते हैं तथा अभी तक हमारे किसी भी उत्पाद का कोई भी दुष्प्रभाव सामने नही आया है अतः हमारे सभी उत्पाद अन्य उत्पादों से बहुत अधिक बेहतर हैं 

क्या पैकेज विचारशील है?
हाँ, सभी आदेश विचारशील पैकेजिंग में भेजे जाते है. 

क्या पैसे वापस की गारंटी है?
हमारे सभी उत्पादों की 90 दिनों के भीतर पैसे वापस की

क्या इस दवाई का कोई सह-प्रभाव भी है ?
नहीं, इस दवा के हर्बल होने के कारण अब तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. मुगले आज़म क्रीम 100% जड़ी बूटीयों पर आधारित है तथा यह प्रयोग करने के लियें बहुत अधिक सुरक्षित है

मुगले आज़म क्रीम में कौन सा रसायन प्रयोग किया जाता हैं?
यह एक हर्बल उत्पाद है जिसमे किसी भी प्रकार का कोई रसायन प्रयोग नही किया जाता है इसमें केवल उपयोगी एवं कीमती जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है जोकि विश्व के विभिन्न भागों से लायी जाती हैं

मेरा आर्डर देने के कितने दिन के बाद मुझे यह प्राप्त हो जाएगा?
आप आर्डर देने के 5 -7 दिनों के पश्चात् ही अपना पार्सल प्राप्त कर सकते है. ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय आदेश 1-2 सप्ताह के भीतर ही प्राप्त हो जाते हैं. हमें आपके देश में नियंत्रण नहीं है



दुबलापन समाप्त करने की प्रभावकारी दवा

आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत मोटे तथा अत्यंत दुबले शरीर वाले व्यक्तियों को निंदित व्यक्तियों की श्रेणी में माना गया है। वस्तुतः कृशता या दुबलापन एक रोग न होकर मिथ्या आहार-विहार एवं असंयम का परिणाम मात्र है।

दुबलापन रोग होने का सबसे प्रमुख कारण मनुष्य के शरीर में स्थित कुछ कीटाणुओं की रासायनिक क्रिया का प्रभाव होना है जिसकी गति थायरायइड ग्रंथि पर निर्भर करती हैं। यह गले के पास शरीर की गर्मी बढ़ाती है तथा अस्थियों की वृद्धि करने में मदद करती है। यह ग्रंथि जिस मनुष्य में जितनी ही अधिक कमजोर और छोटी होगी, वह मनुष्य उतना ही कमजोर और पतला होता है। ठीक इसके विपरीत जिस मनुष्य में यह ग्रंथि स्वस्थ और मोटी होगी-वह मनुष्य उतना ही सबल और मोटा होगा।

यदि देखा जाए तो 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति का वजन यदि उसके शरीर और उम्र के अनुपात सामान्य से कम है तो वह दुबला व्यक्ति कहलाता है। जो व्यक्ति अधिक दुबला होता है वह किसी भी कार्य को करने में थक जाता है तथा उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को कोई भी रोग जैसे- सांस का रोग, क्षय रोग, हृदय रोग, गुर्दें के रोग, टायफाइड, कैंसर बहुत जल्दी हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को अगर इस प्रकार के रोग होने के लक्षण दिखे तो जल्दी ही इनका उपचार कर लेना चाहिए नहीं तो उसका रोग आसाध्य हो सकता है और उसे ठीक होने में बहुत दिक्कत आ सकती है। अधिक दुबली स्त्री गर्भवती होने के समय में कुपोषण का शिकार हो सकती है

अत्यंत दुबले व्यक्ति के नितम्ब, पेट और ग्रीवा शुष्क होते हैं। अंगुलियों के पर्व मोटे तथा शरीर पर शिराओं का जाल फैला होता है, जो स्पष्ट दिखता है। शरीर पर ऊपरी त्वचा और अस्थियाँ ही शेष दिखाई देती हैं।

 दुबलेपन के कारण

अग्निमांद्य या जठराग्नि का मंद होना ही अतिकृशता का प्रमुख कारण है। अग्नि के मंद होने से व्यक्ति अल्प मात्रा में भोजन करता है, जिससे आहार रस या ‘रस’ धातु का निर्माण भी अल्प मात्रा में होता है। इस कारण आगे बनने वाले अन्य धातु (रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्रधातु) भी पोषणाभाव से अत्यंत अल्प मात्रा में रह जाते हैं, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति निरंतर कृश से अतिकृश होता जाता है। इसके अतिरिक्त लंघन, अल्प मात्रा में भोजन तथा रूखे अन्नपान का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से भी शरीर की धातुओं का पोषण नहीं होता।
  • पाचन शक्ति में गड़बड़ी के कारण व्यक्ति अधिक दुबला हो सकता है।
  • मानसिक, भावनात्मक तनाव, चिंता की वजह से व्यक्ति दुबला हो सकता है।
  • यदि शरीर में हार्मोन्स असंतुलित हो जाए तो व्यक्ति दुबला हो सकता है।
  • चयापचयी क्रिया में गड़बड़ी हो जाने के कारण व्यक्ति दुबला हो सकता है।
  • बहुत अधिक या बहुत ही कम व्यायाम करने से भी व्यक्ति दुबला हो सकता है।
  • आंतों में टमवोर्म या अन्य प्रकार के कीड़े हो जाने के कारण भी व्यक्ति को दुबलेपन का रोग हो सकता है।
  • मधुमेह, क्षय, अनिद्रा, जिगर, पुराने दस्त या कब्ज आदि रोग हो जाने के कारण व्यक्ति को दुबलेपन का रोग हो जाता है।
  • शरीर में खून की कमी हो जाने के कारण भी दुबलेपन का रोग हो सकता है।
 दुबलेपन का प्राकृतिक उपचार

हकीम हाशमी जो उपयोगी जड़ी बूटियों की खोज में अपने पूरे जीवन समर्पित कर नई औषधियां विकसित की है, जोकि विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रणाली को भी औषधीय पहलू की कई पीढ़ियों से बंद टिप्पणियों पर आधारित है. आधुनिक अनुसंधान उपकरण, जड़ी बूटी पर औषधीय अध्ययन की मदद से, हकीम हाशमी ने कई तरह की चिकित्सा के पुराने फार्मूलों के संशोधन कर दुबलेपन के इलाज के लिए शक्तिशाली और नई दवाओं का शोध कर लाखो लोगो को उपचार प्रदान किया है. यदि कोई व्यक्ति अपने दुबलेपन की समस्या को शीघ्र ही दूर करना चाहता है तब वह हमारी इस प्रभावकारी दवा के प्रयोग से शीघ्र ही तगड़ा और ताकतवर हो जायेगा यूनानी सिस्टम राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के अनुसार, “यूनानी दवा विभिन्न समस्यों के इलाज का एक अभिन्न हिस्सा है”

विटोल एक्स-एल हर्बल कैप्सूल: आप इसेसे अपना वजन प्राकृतिक रूप से बढ़ा सकते हैं आप इसका प्रयोग कर सकते हैं जबकि आप एक वेट लिफ्टर की भांति अपने शरीर का निर्माण करना चाहते हैं या अपना वजन बढ़ाना चाहते हैं . अथवा आप अपना शारीरिक व्यक्तित्व परिवर्तन करना चाहते हैं … विटोल एक्स-एल हर्बल कैप्सूल 1 महीने में 12-15 किलोग्राम तक आपका वज़न बढ़ा देता है तथा जिसका कोई साइड इफेक्ट भी नही होता है यह १००% तक प्राकृतिक और सुरक्षित है और इसकी 100% तक परिणाम पाने की गारंटी भी है पुरुष या महिला कोई भी इस कैप्सूल का उपयोग कर सकते हैं

विटोल एक्स-एल हर्बल कैप्सूल के लाभ

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  • यह प्राकृतिक और सुरक्षित हर्बल कैप्सूल है
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लिकोरिआ

योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा गाढ़ा स्राव होना आज मध्य उम्र की महिलाओं की एक सामान्य समस्या हो गई है। सामान्य भाषा में इसे सफेद पानी जाना कहते हैं. भारतीय महिलाओं में यह आम समस्या प्रायः बिना चिकित्सा के ही रह जाती है। सबसे बुरी बात यह है कि इसे महिलाएँ अत्यंत सामान्य रूप से लेकर ध्यान नहीं देती, छुपा लेती हैं श्वेत प्रदर में योनि की दीवारों से या गर्भाशय ग्रीवा से श्लेष्मा का स्राव होता है, जिसकी मात्रा, स्थिति और समयावधि अलग-अलग स्त्रियों में अलग-अलग होती है। यदि स्राव ज्यादा मात्रा में, पीला, हरा, नीला हो, खुजली पैदा करने वाला हो तो स्थिति असामान्य मानी जाएगी। इससे शरीर कमजोर होता है और कमजोरी से श्वेत प्रदर बढ़ता है। इसके प्रभाव से हाथ-पैरों में दर्द, कमर में दर्द, पिंडलियों में खिंचाव, शरीर भारी रहना, चिड़चिड़ापन रहता है। इस रोग में स्त्री के योनि मार्ग से सफेद, चिपचिपा, गाढ़ा, बदबूदार स्राव होता है, इसे वेजाइनल डिस्चार्ज कहते हैं।

श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिआ या लिकोरिआ (Leukorrhea) या “सफेद पानी आना” स्त्रिओं का एक रोग है जिसमें स्त्री-योनि से असामान्य मात्रा में सफेद रंग का गाढा और बदबूदार पानी निकलता है और जिसके कारण वे बहुत क्षीण तथा दुर्बल हो जाती है। महिलाओं में श्वेत प्रदर रोग आम बात है। ये गुप्तांगों से पानी जैसा बहने वाला स्त्राव होता है। यह खुद कोई रोग नहीं होता परंतु अन्य कई रोगों के कारण होता है। श्वेत प्रदर वास्तव में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी अन्य योनिगत या गर्भाशयगत व्याधि का लक्षण है; या सामान्यतः प्रजनन अंगों में सूजन का बोधक है।

असामान्य योनि स्राव के कारण एवं लक्षण 

असामान्य योनि स्राव के ये कारण हो सकते हैं- (1) योन सम्बन्धों से होने वाला संक्रमण (2) जिनके शरीर की रोधक्षमता कमजोर होती है या जिन्हें मधुमेह का रोग होता है उनकी योनि में सामान्यतः फंगल यीस्ट नामक संक्रामक रोग हो सकता है।

ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) का बहाव योनिक स्राव कहलाता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक हो जाती है तो यह समस्या लिकोरिया होती है । योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है. दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके. अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा (mucous) बनता है. यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है. लेकिन कई परिस्थितियों में जब इसका रंग बदल जाता है तथा इससे बुरी गंध आने लगती है तो यह रोग के लक्षण का रूप ले लेता है.

अत्यधिक उपवास, उत्तेजक कल्पनाएं, अश्लील वार्तालाप, सम्भोग में उल्टे आसनो का प्रयोग करना, सम्भोग काल में अत्यधिक घर्षण युक्त आघात, रोगग्रस्त पुरुष के साथ सहवास, सहवास के बाद योनि को स्वच्छ जल से न धोना व वैसे ही गन्दे बने रहना आदि इस रोग के प्रमुख कारण बनते हैं। बार-बार गर्भपात कराना भी सफेद पानी का एक प्रमुख कारण है।

  • ऐसी हालत में स्त्री को कमर-पेट-पेडू व जांघो का दर्द होने लगता है
  • चक्कर आना
  • आँखो के सामने अंधेरा आना
  • भूख न लगना
  • थकावट महसूस होना
  • कमजोरी व काम में मन न लगना आदि
  • कष्टपूर्ण शिकायतें बन जाती हैं जिससे धीरे-धीरे जवान स्त्री भी ढलती उम्र की दिखाई देने लगती है।
 यूनानी उपचार

हकीम हाशमी जो उपयोगी जड़ी बूटियों की खोज में अपने पूरे जीवन समर्पित द्वारा सहस्राब्दियों की एक अवधि में विकसित की है, झाड़ियों एवं उप महाद्वीप के पहाड़ों पर सब भटक स्थानीय लोगों और आदिवासियों द्वारा अपनाई प्रथाओं आत्मसात किया. विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रणाली को भी औषधीय पहलू की कई पीढ़ियों से बंद टिप्पणियों पर आधारित है. आधुनिक अनुसंधान उपकरण, जड़ी बूटी पर औषधीय अध्ययन की मदद से, हकीम हाशमी की तरह चिकित्सकों पुराने फार्मूलों को संशोधित कर पुनर्जीवित किया तथा शक्तिशाली और नई दवाओं का शोध कर लाखो लोगो को उपचार प्रदान किया. यूनानी सिस्टम राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के अनुसार, “यूनानी दवा सेक्स समस्यों के इलाज का एक अभिन्न हिस्सा है”.

 लेडी केअर कैप्सूल

लेडी केअर कैप्सूल हर्बल गोलियाँ हैं जोकि असामान्य योनी स्राव से राहत का सबसे अच्छा तरीका है. यह उस सिद्धांत पर आधारित है जोकि पुरानी यूनानी प्रणाली में हजारों साल पहले योनि से को रोकने के लिए स्वीकार किया गया था तथा यह योनि की समस्याओं व योनी के असामान्य स्राव से पूरी तरह राहत के लिए के लिए प्रभावी और शक्तिशाली दवा है जोकि आपको स्थायी इलाज प्रदान करती है . लेडी केअर कैप्सूल उन सभी समस्याओं का उपचार प्रदान करती हैं जो आप सेक्स के समय सहन करती हैं . यहां महत्वपूर्ण यह है कि यह दवा हर्बल होने के कारण किसी भी प्रकार का कोई सहप्रभाव नही छोडती है और आपको एक पूर्ण उपचार स्वाभाविक रूप से प्रदान करता है

लेडी केअर कैप्सूल पहला और एकमात्र चिकित्सकीय द्वारा परीक्षण किया हुआ योनि कायाकल्प कैप्सूल है. यह जड़ी बूटियों से तैयार है जोकि प्रयोग किये जाने के पश्चात् किसी प्रकार का सहप्रभाव नही छोड़ता तथा यह योनि की आंतरिक दीवारों को मजबूती प्रदान करता है महिला और उसके साथी के लिए यौन सुख को बढाता है. सभी उम्र की महिलाओं को बुढ़ापे या प्रसव के प्राकृतिक परिणाम के कारण योनि समस्या का सुरक्षित समाधान पर्याप्त करने में आपकी मदद करता है महिलाओं में योनि से सफ़ेद पानी या पीला पानी हर समय या कभी कभी निकलना तथा असामान्य रूप से खून बहना आदि सभी समस्याओं में यह चमत्कारिक रूप में आपकी मदद करता है.

लेडी केअर कैप्सूल आपको साफ और तरो ताजा महसूस करता है!
लेडी केअर कैप्सूल योनि की प्राकृतिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए उपयोग होता है

ग्रीवा से उत्पन्न श्लेष्मा (म्युकस) के बहाव को ठीक करता है। अगर स्राव का रंग, गन्ध या गाढ़ापन असामान्य हो अथवा मात्रा बहुत अधिक हो जाती है तो इस समस्या को शीघ्र ही ठीक करता है । योनिक स्राव (Vaginal discharge) सामान्य प्रक्रिया है जो कि मासिक चक्र के अनुरूप परिवर्तित होती रहती है. दरअसल यह स्राव योनि को स्वच्छ तथा स्निग्ध रखने की प्राकृतिक प्रक्रिया है वहीं अण्डोत्सर्ग के दौरान यह स्राव इसलिये बढ़ जाता है ताकि अण्डाणु आसानी से तैर सके. अण्डोत्सर्ग के पहले काफी मात्रा में श्लेष्मा (mucous) बनता है. यह सफेद रंग का चिपचिपा पदार्थ होता है. लेकिन यदि किन्ही परिस्थितियों में जब इसका रंग बदल जाता है तथा इससे बुरी गंध आने लगती है तो यह रोग का रूप ले लेता है. लेडी केअर कैप्सूल शरीर में होने वाले रासायनिक परिवर्तन को ठीक करता है जिससे योनी स्राव का रंग व गन्ध का सरलता से उपचार हो जाता है



Monday, 7 November 2016

गठिया रोग

क्या आप गठिया रोग से पीडित हैं?आमवात जिसे गठिया भी कहा जाता है अत्यंत पीडादायक बीमारी है।अपक्व आहार रस याने “आम” वात के साथ संयोग करके गठिया रोग को उत्पन्न करता है।अत: इसे आमवात भी कहा जाता है। इसमें जोडों में दर्द होता है, शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा बढ जाती है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप होता रहता है। यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स)घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं।जोडों में दर्द के मारे रोगी का बुरा हाल रहता है।गठिया के पीछे यूरिक एसीड की जबर्दस्त भूमिका रहती है। इस रोग की सबसे बडी पहचान ये है कि रात को जोडों का दर्द बढता है और सुबह अकडन मेहसूस होती है। यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है।

गठिया रोग या संधिवात में रोगी के गांठों में असह्य दर्द होता है। यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित है। इसके संबंध खून में मूत्रीय अम्ल का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाए जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठ (ग्रेट टो)) में तथा कभी कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है। गठिया का रोग मसालेदार भोजन और शराब पीने से संबद्ध है। यह रोग पाचन क्रिया से संबंधित है। इसके संबंध खून में मूत्रीय अम्ल का अत्यधिक उच्च मात्रा में पाये जाने से होता है। इसके कारण जोड़ों (प्रायः पादागुष्ठ (ग्रेट टो) में तथा कभी कभी गुर्दे में भी क्रिस्टल भारी मात्रा में बढ़ता है।

यूरिक अम्ल मूत्र की खराबी से उत्पन्न होता है। यह प्रायः गुर्दे से बाहर आता है। जब कभी गुर्दे से मूत्र कम आने (यह सामान्य कारण है) अथवा मूत्र अधिक बनने से सामान्य स्तर भंग होता है, तो यूरिक अम्ल का रक्त स्तर बढ़ जाता है और यूरिक अम्ल के क्रिस्टल भिन्न-भिन्न जोड़ों पर जमा (जोड़ों के स्थल) हो जाते है। रक्षात्मक कोशिकाएं इन क्रिस्टलों को ग्रहण कर लेते हैं जिसके कारण जोड़ों वाली जगहों पर दर्द देने वाले पदार्थ निर्मुक्त हो जाते हैं। इसी से प्रभावित जोड़ खराब होते हैं  

संकेत और लक्षण

सभी गठिया विकारों के लिए आम लक्षण दर्द के विभिन्न स्तरों शामिल हैं, सूजन, जोड़ों की कठोरता और कभी कभी संयुक्त (एस) के चारों ओर एक निरंतर दर्द. एक प्रकार का वृक्ष और रुमेटी गठिया जैसी बीमारियों के भी लक्षण के एक किस्म के साथ शरीर के अन्य अंगों को प्रभावित कर सकते हैं.
  • हाथ का उपयोग करने के लिए या चलने में असमर्थता
  • अस्वस्थता और थकान का अहसास
  • बुखार
  • नींद कम आना
  • मांसपेशियों में दर्द और बदन दर्द
  • चलते समय कठिनाई होना
  • मांसपेशियों में कमजोरी
  • लचीलेपन की कमी
  • एरोबिक फिटनेस में कमी
 गठिया रोग प्रमुख कारण
  • औरतों में एसट्रोजन की कमी के कारण भी अर्थराइटिस होता है।
  • थइराइड में विकार के कारण भी यह बीमारी होती है।
  • त्वचा या खून की बीमारी जैसे ल्यूकेमिया आदि होने पर भी जोड़ों में दोष पैदा हो जाता है।
  • अधिक खन-पान और शारीरिक कामों में कमी के कारण, शरीर में आयरन और कैल्शियम की अधिकता होने से भी यह रोग हो सकता है।
  • कई बार शरीर के दूसरे अंगों के संक्रमण भी जोड़ों को प्रभावित करते हैं जैसे टाइफायड या पैराटाइफायड में बीमारी के कुछ हफ़्तों बाद घुटनों आदि में दर्द हो सकता है।
  • आतों को प्रभावित करने वाले रिजाक्स नामक किटाणु जोड़ों में भी विकार पैदा करते हैं।
  • पोषण की कमी के कारण, खा़सतौर से बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से रिह्यूमेटायड आर्थराइटिस होता है जिससे जोड़ों में दर्द, सूजन गांठों में अकड़न आ जाती है।
आप सभी से मेरा अनुरोध है कि इस किसी एक लक्षण के होने पर कृपया करके आप तुरंत डा० से सम्पर्क करें, जिससे आप को यदि यह रोग हो रहा हो तो आरंभिक अवस्था में ही इससे छुटकारा मिल जाए।

गठिया रोग के उपचार

हर्बल पैनोजौन कैप्सूल शुद्ध प्राकृतिक और आवश्यक जड़ी बूटियों से बना है जो गठिया के कारण शरीर के जोड़ो में होने वाले दर्द में आराम पहुँचाती है! मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, पीठ में दर्द, गठिया, उपभेदों, घाव के साथ जुड़े दर्द में स्थायी राहत के लिए हर्बल पैनोजौन कैप्सूल अवश्य इस्तेमाल करे हर्बल पैनोजौन कैप्सूल एक विशेष रूप से मिश्रित उन्नत प्राकृतिक उत्पाद है जो शरीर को प्राकृतिक रूप से राहत प्रदान करता है ! हर्बल पैनोजौन कैप्सूल आम रुमेटी संधिशोथ के दर्द जलन के लिए प्रभावी रूप से आराम प्रदान करता है !

हर्बल पैनोजौन कैप्सूल भी पुराने गठिया में दर्द से रहत प्रदान सहायता प्रदान करता है ! गठिया के दर्द और सूजन या जोड़ों की सूजन और पेशी ऊतक में आने वाली समस्या का समाधान करता है हर्बल पैनोजौन कैप्सूल भी एक प्रभावी एजेंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है यह शरीर मे यूरिक एसीड की मात्रा को कम करता है। छोटे -बडे जोडों में सूजन का प्रकोप को कम करता है है। यूरिक एसीड के कण(क्रिस्टल्स) जो घुटनों व अन्य जोडों में जमा हो जाते हैं उनको दूर करता है । अन्यामित दर्द से रहत पहुंचता है। यह रोगी को रात को जोडों में होने वाले असह्न्य दर्द को समाप्त करके राहत पहुँचाता है और सुबह में होने वाली अकडन को दूर करता है।

पैनोजौन कैप्सूल के लाभ

  • हड्डियों के दर्द और सूजन में लाभकारी
  • 100% प्राकृतिक सुरक्षित सामग्री
  • हड्डियों की गतिशीलता और लचीलापन बढ़ता है
  • पुरुषों और महिलाओं की सभी उम्र के लिए लाभकारी है
  • यह किसी भी प्रकार के शारीरिक दर्द में राहत प्रदान करता है
  • यह हड्डियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है
  • यह हड्डियों के विकारों में मदद करता है
  • स्वाभाविक रूप से हड्डियों को मजबूत बनता है
 विशेष
  • आपके आहार में पर्याप्त कैल्शियम होना चाहिए। इससे हड्डियाँ कमजोर पड़ने का खतरा नहीं रहता। अगर साधारण दूध नहीं पीना चाहते तो दही, चीज और आइसक्रीम खाएँ। मछली, विशेषकर सलमोन (काँटे सहित) भी कैल्शियम का अच्छा स्रोत है।
  • दवाई खाना न भूलें। अगर दवाइयाँ असर नहीं दिखा रहीं तो हमसे बात करें। पूर्ण लाभ का अहसास होने में सप्ताह या कई बार महीने लग जाते हैं। कुछ साइड इफेक्ट वक्त के साथ कम हो जाते हैं।
  • नाश्ता अच्छा करें। फल, ओटमील खाएँ और पानी पीएँ। जहाँ तक मुमकिन हो कैफीन से बचें।
  • वे जूते न पहने जो आपका पंजा दबाते हों और आपकी एड़ी पर जोर डालते हों। पैडेड जूता होना चाहिए और जूते में पंजा भी खुला-खुला रहना चाहिए।
  • सोते समय गर्म पानी से नहाना मांसपेशियों को रिलैक्स करता है और जोड़ों के दर्द को आराम पहुँचाता है। साथ ही इससे नींद भी अच्छी आती है।
  • हमें अवश्य बता दें कि गठिया के अलावा आप किसी और परेशानी के लिए और कौन सी दवाई लेते हैं, चाहे वह न्यूट्रीशनल सप्लीमेंट ही क्यों न हो।
  • काम के दौरान कई-कई बार ब्रेक लेकर सख्त जोड़ों और सूजी मांसपेशियों को स्ट्रैच करें।
यदि शीघ्र ही उपचार कर नियंत्रण नहीं किया गया तो जोडों को स्थायी नुकसान हो सकता है।

 


 



महिलाओं में यौन रोग

एक औरत की यौन इच्छाओं स्वाभाविक रूप से पिछले कुछ वर्षों में उतार चढ़ाव हो रहे है.यौन इच्छा का अधिक
और कम होना सामान्यतः गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति या बीमारी जैसे प्रमुख समस्याओं या आपके पार्टनर से रिश्ते के कारण बदलता है, हालांकि, अगर आप पत्नी की सेक्स इच्छा के कम होने या सेक्स इच्छा के बिलकुल न होने से परेशान हो रहे हैं तो कम सेक्स ड्राइव, वाली जीवन शैली में परिवर्तन करने और सेक्स इच्छा को अधिक करने की कई तकनीक है जो आप के पार्टनर की यौन इच्छाओं को बढ़ा सकते हैं. तथा कुछ दवाये वादा भी करती हैं.

चिकित्सा शब्दों में, आपको हाईपोअक्टिव यौन इच्छा विकार है अगर आप सेक्स में रुचि का एक लगातार या आवर्तित रूप में कमी आ रही है तो यह व्यक्तिगत संकट का कारण बन सकती है. कम लीबीदो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आम है. वास्तव में महिलाओं में 40 प्रतिशत से अधिक यौन रोग से पीड़ित हैं जबकि पुरुष जो यौन रोग से पीड़ित लगभग 30 प्रतिशत हैं जोकि सेक्स ड्राइव की कमी की शिकायत करते हैं. लेकिन यह अंतर कहाँ से आया है? यह समस्या पुरुषों की तुलना में महिलाओं में आम क्यों है?कारण यह है कि महिला में लीबीदो पुरुष लीबीदो से कहीं अधिक जटिल है. जबकि पुरुष लीबीदो मुख्य रूप से शारीरिक रूप से निहित होता है, जबकि महिला में सेक्स ड्राइव शारीरिक और भावनात्मक दोनों रूप से प्रभावित हो सकते हैं. तथा अन्य कई कारको से भी प्रभावित हो सकते है शारीरिक कारकों की विविधता तथा बीमारियों, दवाओं, शारीरिक परिवर्तन आदि महिलाओं में लीबीदो को कम करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं 


 बीमारियां
बीमारियां महिलाओं में यौन इच्छा को कम करने का एक बहुत बड़ा करक होती हैं जिनमे गुर्दा रोग, न्यूरोलॉजिकल रोगों, कोरोनरी धमनी रोग, गठिया, मधुमेह, कैंसर, उच्च रक्तचाप, आदि के कम लीबीदो को जन्म देते हैं 

दवाएँ.
कई दवाइयां नकारात्मक रक्तचाप दवाये , एंटी डिपरेज्ड , एंटी सायीकोटिक दवाये , रसायन चिकित्सा दवाये आदि को सेक्स ड्राइव पर प्रभाव डालनेवाला माना जाता है

शराब और नशीली दवाओं के दुरुपयोग.
बहुत ज्यादा शराब या ड्रग्स लेने से आप अपनी कामेच्छा को मार सकते हैं.

मोटापा या आहार.
जो महिलाएं मोटापे से ग्रस्त हैं या अनोरकसिया से पीड़ित हैं (या गंभीर रूप वजन की समस्या से पीड़ित हैं ) उन्हें कुछ सेक्स हार्मोनों और यौन रुचि में कमी हो सकती है.

सर्जरी.
स्तन सर्जरी या जननांगों से संबंधित सर्जरी सेक्स की इच्छा को प्रभावित कर सकती हैं.

थकान.
वास्तव में थकावट से सेक्स में कोई रुचि नहीं रहती .

दर्द या सेक्स के दौरान असुविधा.
अगर किसी औरत को सेक्स के दौरान दर्द का अनुभव (dyspareunia) या (anorgasmia) होता है यह सेक्स के लिए आपकी इच्छा को मार सकता है.

हार्मोन परिवर्तन.
हार्मोन के स्तर में परिवर्तन से भी कामेच्छा बदल जाती हैं. यह विशेष रूप से एक स्त्री के जीवन में कुछ समय के लिए सेक्स करने की इच्छा को मार सकता है:
  • तनाव और चिंता.
  • शरीर की छवि और / या कम आत्म सम्मान.
  • रिश्ते के मुद्दों.
  • अतीत या वर्तमान शारीरिक या भावनात्मक दुरुपयोग.
  • यौन शोषण या बलात्कार का इतिहास.
  • अव्यक्त समलैंगिकता
 फेज़िनिल कैप्सूल


फेज़िनिल कैप्सूल महिलाओं के यौन स्वास्थ्य में सुधार प्रदान करता है और मदद करता है :कामक्रिया के दौरान उत्साह का स्तर सुधारें और महिलाओं को उत्साहित होने में मदद करे बेहतर प्रजनन क्षमता का विकास करे:
  • कामेच्छा बढ़ाने या बहाल सेक्स ड्राइव की कमी को दूर करे
  • एकाधिक संभोग सुख, तेज यौन उत्तेजना, मजबूत संभोग
  • अधिक सेक्स करने में रुचि, सेक्स करने में आनंद पहुंचता है
  • यह रक्त और भगशेफ के प्रवाह को उचित करता है
  • यह औरतो के ठन्डेपन को दूर करता है और उनमे सेक्स करने की इछा को जागृत करता है
एक औरत के लिए कामुकता शारीरिक गतिविधियों और मनोवैज्ञानिक अनुभवों का एक बहुत व्यापक रेंज शामिल हैं. इन गतिविधियों को निकटता और अंतरंगता के लिए एक महत्वपूर्ण शारीरिक और भावनात्मक की जरूरत को पूरा करना. कामुकता सिर्फ अपने यौन व्यवहारों शामिल नहीं है. अपने बारे में आपकी भावनाओं को, और सेक्स और पिछले यौन अनुभव के बारे में कैसे आप दूसरों के लिए संबंधित हैं, अपने यौन श्रृंगार का हिस्सा हैं. अतः यह दवा आप को कामुकता की शारीरिक गतिविधियों और मनोवैज्ञानिक अनुभवों में आपकी सहयता करता है

महिलाओं की समस्या को दूर करने के लिए हाशमी आयुर्वेदिक इलाज पहली बार फेज़िनिल कैप्सूल के रूप में उपलब्ध है. यह महिलाओं के लिए यौन जीवन शक्ति बूस्टर है यह महिलाओं के लिए योन सुख प्राप्त कराता है यह अधिक संभोग सुख प्राप्त करने में आपकी मदद करता है तेज यौन उत्तेजना का अनुभव करने में आपकी मदद करता है.

फेज़िनिल कैप्सूल
सेक्स करने की शक्ति को बढाता है व सही प्रजनन कार्य के लिए स्थिर हार्मोनल प्रणाली को पदोन्नत करता है


 सवाल और जवाब


क्या इस दवाई का कोई सह-प्रभाव भी है ?
नहीं, इस दवा के हर्बल होने के कारण अब तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. फेज़िनिल कैप्सूल100% जड़ी बूटीयों पर आधारित है तथा यह प्रयोग करने के लियें बहुत अधिक सुरक्षित है

फेज़िनिल कैप्सूल में कौन सा रसायन प्रयोग किया जाता हैं?
यह एक हर्बल उत्पाद है जिसमे किसी भी प्रकार का कोई रसायन प्रयोग नही किया जाता है इसमें केवल उपयोगी एवं कीमती जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है जोकि विश्व के विभिन्न भागों से लायी जाती हैं

मेरा आर्डर देने के कितने दिन के बाद मुझे यह प्राप्त हो जाएगा?
आप आर्डर देने के 5 -7 दिनों के पश्चात् ही अपना पार्सल प्राप्त कर सकते है. ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय आदेश 1-2 सप्ताह के भीतर ही प्राप्त हो जाते हैं. हमें आपके देश में नियंत्रण नहीं है, इसलिए आर्डर प्राप्त करने में कुछ अतिरिक्त समय भी लग सकता है

इस दवा को किस प्रकार इस्तेमाल किया जाता है ?
एक दिन में एक कैप्सूल दूध के साथ लें


अस्थमा

अस्थमा (Asthma) एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। अस्थमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन होता है। यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी बेचैन करनेवाली चीज के स्पर्श से यह तीखी प्रतिक्रिया करता है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है। इससे खांसी, नाक बजना, छाती का कड़ा होना, रात और सुबह में सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

अस्थमा को ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, ताकि दमे से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सके। दमे का दौरा पड़ने से श्वास नलिकाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं, जिससे शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को आक्सीजन की आपूर्ति बंद हो सकती है। यह चिकित्सकीय रूप से आपात स्थिति है। दमे के दौरे से मरीज की मौत भी हो सकती है।

अस्थमा या अस्थमा एक अथवा एक से अधिक पदार्थों (एलर्जेन) के प्रति शारीरिक प्रणाली की अस्वीकृति (एलर्जी) है। इसका अर्थ है कि हमारे शरीर की प्रणाली उन विशेष पदार्थों को सहन नहीं कर पाती और जिस रूप में अपनी प्रतिक्रिया या विरोध प्रकट करती है, उसे एलर्जी कहते हैं। हमारी श्वसन प्रणाली जब किन्हीं एलर्जेंस के प्रति एलर्जी प्रकट करती है तो वह अस्थमा होता है। यह साँस संबंधी रोगों में सबसे अधिक कष्टदायी है। अस्थमा के रोगी को सांस फूलने या साँस न आने के दौरे बार-बार पड़ते हैं और उन दौरों के बीच वह अकसर पूरी तरह सामान्य भी हो जाता है।

अस्थमा यूनानी शब्द है, जिसका अर्थ है – ‘जल्दी-जल्दी साँस लेना’ या ‘साँस लेने के लिए जोर लगाना’। जब किसी व्यक्ति को अस्थमा का दौरा पड़ता है तो वह सामान्य साँस के लिए भी गहरी-गहरी या लंबी-लंबी साँस लेता है; नाक से ली गई साँस कम पड़ती है तो मुँह खोलकर साँस लेता है। वास्तव में रोगी को साँस लेने की बजाय साँस बाहर निकालने में ज्यादा कठिनाई होती है, क्योंकि फेफड़े के भीतर की छोटी-छोटी वायु नलियाँ जकड़ जाती हैं और दूषित वायु को बाहर निकालने के लिए उन्हें जितना सिकुड़ना चाहिए उतना वे नहीं सिकुड़ पातीं। परिणामस्वरूप रोगी के फेफड़े फूल जाते हैं, क्योंकि रोगी अगली साँस भीतर खींचने से पहले खिंची हुई साँस की हवा को ठीक से बाहर नहीं निकाल पाता।
अस्थमा के लक्षण
 
अस्थमा या तो धीरे-धीरे उभरता है अथवा एकाएक भड़कता है। जब अस्थमा या अस्थमा एकाएक भड़कता है तो उससे पहले खाँसी का दौरा होता है, किंतु जब अस्थमा धीरे-धीरे उभरता है तो उससे पहले आमतौर पर श्वास प्रणाली में संक्रमण हो जाया करता है। अस्थमा का दौरा जब तेज होता है तो दिल की धड़कन और साँस लेने की रफ्तार दोनों बढ़ जाती हैं तथा रोगी बेचैन व थका हुआ महसूस करता है। उसे खाँसी आ सकती है, सीने में जकड़न महसूस हो सकती है, बहुत अधिक पसीना आ सकता है और उलटी भी हो सकती है। दमे के दौरे के समय सीने से आनेवाली साँय-साँय की आवाज तंग श्वास नलियों के भीतर से हवा बाहर निकलने के कारण आती है। अस्थमा के सभी रोगियों को रात के समय, खासकर सोते हुए, ज्यादा कठिनाई महसूस होती है।

  • छींक आना
  • सामान्यतया अचानक शुरू होता है
  • किस्तों मे आता है
  • रात या अहले सुबह बहुत तेज होता है
  • ठंडी जगहों पर या व्यायाम करने से या भीषण गर्मी में तीखा होता है
  • दवाओं के उपयोग से ठीक होता है, क्योंकि इससे नलिकाएं खुलती हैं
  • बलगम के साथ या बगैर खांसी होती है
  • सांस फूलना, जो व्यायाम या किसी गतिविधि के साथ तेज होती है
  • शरीर के अंदर खिंचाव (सांस लेने के साथ रीढ़ के पास त्वचा का खिंचाव)
 अस्थमा के कारण


अस्थमा कई कारणों से हो सकता है। अनेक लोगों में यह एलर्जी मौसम, खाद्य पदार्थ, दवाइयाँ इत्र, परफ्यूम जैसी खुशबू और कुछ अन्य प्रकार के पदार्थों से हो सकता हैं; कुछ लोग रुई के बारीक रेशे, आटे की धूल, कागज की धूल, कुछ फूलों के पराग, पशुओं के बाल, फफूँद और कॉकरोज जैसे कीड़े के प्रति एलर्जित होते हैं। जिन खाद्य पदार्थों से आमतौर पर एलर्जी होती है उनमें गेहूँ, आटा दूध, चॉकलेट, बींस की फलियाँ, आलू, सूअर और गाय का मांस इत्यादि शामिल हैं। कुछ अन्य लोगों के शरीर का रसायन असामान्य होता है, जिसमें उनके शरीर के एंजाइम या फेफड़ों के भीतर मांसपेशियों की दोषपूर्ण प्रक्रिया शामिल होती है। अनेक बार अस्थमा एलर्जिक और गैर-एलर्जीवाली स्थितियों के मेल से भड़कता है, जिसमें भावनात्मक दबाव, वायु प्रदूषण, विभिन्न संक्रमण और आनुवंशिक कारण शामिल हैं। एक अनुमान के अनुसार, जब माता-पिता दोनों को अस्थमा या हे फीवर (Hay Fever) होता है तो ऐसे 75 से 100 प्रतिशत माता-पिता के बच्चों में भी एलर्जी की संभावनाएँ पाई जाती हैं।

  • जानवरों से (जानवरों की त्वचा, बाल, पंख या रोयें से)
  • पेड़ और घास के पराग कण
  • धूलकण
  • सिगरेट का धुआं
  • वायु प्रदूषण
  • ठंडी हवा या मौसमी बदलाव
  • पेंट या रसोई की तीखी गंध
  • सुगंधित उत्पाद
  • मजबूत भावनात्मक मनोभाव (जैसे रोना या लगातार हंसना) और तनाव
  • एस्पिरीन और अन्य दवाएं
  • विशेष रसायन या धूल जैसे अवयव
  • पारिवारिक इतिहास
  • तंबाकू के धुएं से भरे माहौल में रहनेवाले शिशुओं को अस्थमा होने का खतरा होता है। यदि गर्भावस्था के दौरान कोई महिला तंबाकू के धुएं के बीच रहती है, तो उसके बच्चे को अस्थमा होने का खतरा होता है।
  • मोटापे से भी अस्थमा हो सकता है। अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
 क्या अस्थमा इन मायनों में आपके जीवन को प्रभावित कर रहा है!
  • क्या आप मेलों, चिड़ियाघर और अन्य सार्वजनिक जगह पर जाने से डरते है?
  • क्या आप उद्यान में जाने से डरते है?
  • क्या आप सार्वजनिक स्थानों से बचते है?
  • क्या आप एयर कंडीशनर के आसपास में बेठने से डरते है?
  • क्या आपके हमेशा यह तनाव रहता है की मुझे कही भी अस्थमा का दौरा पड़ सकता है?
  • क्या आप जॉगिंग या व्यायाम करने से भी डरते है की कही आपको अस्थमा का दौरा न पड़ जाये?
 अस्थमा का प्राकृतिक उपचार

हकीम हाशमी जो उपयोगी जड़ी बूटियों की खोज में अपने पूरे जीवन समर्पित कर नई औषधियां विकसित की है, जोकि विभिन्न क्षेत्रों से इस प्रणाली को भी औषधीय पहलू की कई पीढ़ियों से बंद टिप्पणियों पर आधारित है. आधुनिक अनुसंधान उपकरण, जड़ी बूटी पर औषधीय अध्ययन की मदद से, हकीम हाशमी ने कई तरह की चिकित्सा के पुराने फार्मूलों के संशोधन कर अस्थमा के इलाज के लिए शक्तिशाली और नई दवाओं का शोध कर लाखो लोगो को उपचार प्रदान किया है. यदि कोई अस्थमा रोगी धुम्रपान करता है तो आप हमारी दवा से धुम्रपान का सेवन करने वाले व्यक्ति को बिना बताए उसकी धुम्रपान की आदत बहुत ही सरलता के साथ छुड़ा सकते हैं यूनानी सिस्टम राष्ट्रीय स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के अनुसार, “यूनानी दवा विभिन्न समस्यों के इलाज का एक अभिन्न हिस्सा है”

ब्रोंनकिल कैप्सूल एक 100% प्राकृतिक दवा है. इसमें सबसे बड़ी गुणवत्ता फेफड़ों को मजबूत बनाना और सामान्य श्वास बनाये रखना है. यह फ्लू और खाँसी, घरघराहट तथा अन्य अस्थमा लक्षण के जोखिम को कम करता है, और सामान्य शरीर कमजोरी, कम.खुराक तथा फेफड़े के ख़राब होने आदि के जोखिम को कम करने में आपकी मदद करता है

हमारे उत्पाद ब्रोंनकिल कैप्सूल एक हर्बल दवा है जिसका 95% तेजी से अस्थमा के उपचार में सफलता प्राप्त है. यह स्वाभाविक है यह लाभदायक चिकित्सा विशेष गुणों, प्रभाव और अन्य जड़ी बूटी के संग्रह का अद्वितीय मिश्रण है. हाशमी ब्रोंनकिल कैप्सूल अस्थमा के लिए बेहतरीन प्राकृतिक दवा है. यह पक्ष प्रभाव से मुक्त है. यह औषधि उम्र अथवा गंभीरता की परवाह किए बिना प्रभावी है.

सुस्ती या कमजोर निर्गमन अंगों को बल प्रदान करना। रोगी पदार्थों को शरीर से बाहर निकालने के लिए समुचित आहार कार्यक्रम प्रदान करना। शरीर का पुनर्निमाण करना अथवा शरीर की कमजोरी को दूर करना। यह आपको पाचन स्वस्थ को मज़बूत करता है जिससे की आपको भोजन ठीक तरह से हजम होकर शरीर को लगे। फेफड़ों को बल प्रदान करे, उनमें लचीलापन आए, पाचन क्रिया सुधरे और तेज हो तथा श्वास प्रणाली बलशाली हो।

अस्थमा -क्या करें और क्या न करें
ऐसा करें
  • धूल से बचें और धूल -कण अस्थमा से प्रभावित लोगों के लिए एक आम ट्रिगर है |
  • एयरटाइट गद्दे .बॉक्स स्प्रिंग और तकिए के कवर का इस्तेमाल करें ये वे चीजें है जहां पर अक्सर धूल-कण होते है जो अस्थमा को ट्रिगर करते है
  • पालतू जानवरों को हर हफ्ते नहलाएं.इससे आपके घर में गंदगी पर कंट्रोल रहेगा |
  • अस्थमा से प्रभावित बच्चों को उनकी उम्र वाले बच्चों के साथ सामान्य गतिविधियों में भाग लेने दें |
  • अस्थमा के बारे में अपनी और या अपने बच्चे की जानकारी बढाएं इससे इस बीमारी पर अच्छी तरह से कंट्रोल करने की समझ बढेगी |
  • बेड सीट और मनपसंद स्टफड खिलोंनों को हर हफ्ते धोंए वह भी अच्छी क्वालिटीवाल एलर्जक को घटाने वाले डिटर्जेंट के साथ |
  • सख्त सतह वाले कारपेंट अपनाए |
  • एलर्जी की जांच कराएं इसकी मदद से आप अपने अस्थमा ट्रिगर्स मूल कारण की पहचान कर सकते है |
  • किसी तरह की तकलीफ होने पर या आपकी दवाइयों के आप पर बेअसर होने पर अपने हमसे संर्पक करें |
ऐसा न करें
  • यदि आपके घर में पालतू जानवर है तो उसे अपने विस्तर पर या बेडरूम में न आने दें |
  • पंखोंवाले तकिए का इस्तेमाल न करें |
  • घर में या अस्थमा से प्रभावित लोगों के आस -पास धूम्रपान न करें संभव हो तो धूम्रपान ही करना बंद कर दें क्योंकि अस्थमा से प्रभावित कुछ लोगों को कपडों पर धुएं की महक से ही अटैक आ सकता है |
  • मोल्ड की संभावना वाली जगहों जैसे गार्डन या पत्तियों के ढेरों में काम न करें और न ही खेलें |
  • दोपहर के वक्त जब परागकणों की संख्या बढ जाती है बाहर न ही काम करें और न ही खेलें |
  • अस्थमा से प्रभावित व्यक्ति से किसी तरह का अलग व्यवहार न करें |
  • अस्थमा का अटैक आने पर न घबराएं.इससे प्रॉब्लम और भी बढ जाएगी. ये बात उन माता-पिता को ध्यान देने वाली है जिनके बच्चों को अस्थमा है अस्थमा अटैक के दौरान बच्चों को आपकी प्रतिक्रिया का असर पडता है यदि आप ही घबरा जाएंगे तो आपको देख उनकी भी घबराहट और भी बढ सकती है |
 सवाल और जवाब


ब्रोंनकिल क्या है?
ब्रोंनकिल अस्थमा से पीड़ित रोगियों के उपचार के लियें प्रयोग की जाती है यह एक सुरक्षित एवं प्राकृतिक दवा है जोकि पिछले 10 वर्षों से सफल प्रयोग की गयी है कोई भी अन्य चिकित्सा प्रणाली के उत्पाद इतने सकारात्मक परिणाम नहीं प्रदान कर सकते हैं. यह लाभदायक चिकित्सा विशेष गुणों, प्रभाव और अन्य जड़ी बूटी के संग्रह का अद्वितीय मिश्रण है.

क्यों यह प्रतिस्पर्धी उत्पादों से बेहतर है?
सभी प्राकृतिक उपचार रोगों से लड़ने में प्रकिर्तिक रूप से मदद करते है इसमें किसी भी रोग का उपचार धीरे धीरे प्रारम्भ होता है और कुछ ही समय में पूरी तरह से समाप्त भी हो जाता है जबकि अन्य उत्पाद तुरन्त फायदा पहुंचा सकते हैं परन्तु अन्य सभी उत्पादों के बहुत अधिक दुष्प्रभाव सामने आते हैं तथा अभी तक हमारे किसी भी उत्पाद का कोई भी दुष्प्रभाव सामने नही आया है अतः हमारे सभी उत्पाद अन्य उत्पादों से बहुत अधिक बेहतर हैं

क्या पैकेज विचारशील है?
हाँ, सभी आदेश विचारशील पैकेजिंग में भेजे जाते है.

क्या इस दवाई का कोई सह-प्रभाव भी है ?
नहीं, इस दवा के हर्बल होने के कारण अब तक कोई दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है. ब्रोंनकिल कैप्सूल100% जड़ी बूटीयों पर आधारित है तथा यह प्रयोग करने के लियें बहुत अधिक सुरक्षित है

ब्रोंनकिल कैप्सूल में कौन सा रसायन प्रयोग किया जाता हैं?
यह एक हर्बल उत्पाद है जिसमे किसी भी प्रकार का कोई रसायन प्रयोग नही किया जाता है इसमें केवल उपयोगी एवं कीमती जड़ी बूटियों का प्रयोग किया जाता है जोकि विश्व के विभिन्न भागों से लायी जाती हैं

मेरा आर्डर देने के कितने दिन के बाद मुझे यह प्राप्त हो जाएगा?
आप आर्डर देने के 5 -7 दिनों के पश्चात् ही अपना पार्सल प्राप्त कर सकते है. ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय आदेश 1-2 सप्ताह के भीतर ही प्राप्त हो जाते हैं. हमें आपके देश में नियंत्रण नहीं है, इसलिए आर्डर प्राप्त करने में कुछ अतिरिक्त समय भी लग सकता है.