आयुर्वेद के अनुसार अत्यंत मोटे तथा अत्यंत दुबले शरीर वाले व्यक्तियों को
निंदित व्यक्तियों की श्रेणी में माना गया है। वस्तुतः कृशता या दुबलापन एक
रोग न होकर मिथ्या आहार-विहार एवं असंयम का परिणाम मात्र है।
दुबलापन रोग होने का सबसे प्रमुख कारण मनुष्य के शरीर में स्थित कुछ
कीटाणुओं की रासायनिक क्रिया का प्रभाव होना है जिसकी गति थायरायइड ग्रंथि
पर निर्भर करती हैं। यह गले के पास शरीर की गर्मी बढ़ाती है तथा अस्थियों
की वृद्धि करने में मदद करती है। यह ग्रंथि जिस मनुष्य में जितनी ही अधिक
कमजोर और छोटी होगी, वह मनुष्य उतना ही कमजोर और पतला होता है। ठीक इसके
विपरीत जिस मनुष्य में यह ग्रंथि स्वस्थ और मोटी होगी-वह मनुष्य उतना ही
सबल और मोटा होगा।
यदि देखा जाए तो 30 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति का वजन यदि उसके शरीर और
उम्र के अनुपात सामान्य से कम है तो वह दुबला व्यक्ति कहलाता है। जो
व्यक्ति अधिक दुबला होता है वह किसी भी कार्य को करने में थक जाता है तथा
उसके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। ऐसे व्यक्ति को कोई भी
रोग जैसे- सांस का रोग, क्षय रोग, हृदय रोग, गुर्दें के रोग, टायफाइड,
कैंसर बहुत जल्दी हो जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को अगर इस प्रकार के रोग होने
के लक्षण दिखे तो जल्दी ही इनका उपचार कर लेना चाहिए नहीं तो उसका रोग
आसाध्य हो सकता है और उसे ठीक होने में बहुत दिक्कत आ सकती है। अधिक दुबली
स्त्री गर्भवती होने के समय में कुपोषण का शिकार हो सकती है
अत्यंत दुबले व्यक्ति के नितम्ब, पेट और ग्रीवा शुष्क होते हैं। अंगुलियों
के पर्व मोटे तथा शरीर पर शिराओं का जाल फैला होता है, जो स्पष्ट दिखता है।
शरीर पर ऊपरी त्वचा और अस्थियाँ ही शेष दिखाई देती हैं।
दुबलेपन के कारण
अग्निमांद्य या जठराग्नि का मंद होना ही अतिकृशता का प्रमुख कारण है। अग्नि
के मंद होने से व्यक्ति अल्प मात्रा में भोजन करता है, जिससे आहार रस या
‘रस’ धातु का निर्माण भी अल्प मात्रा में होता है। इस कारण आगे बनने वाले
अन्य धातु (रक्त, मांस, मेद, अस्थि, मज्जा और शुक्रधातु) भी पोषणाभाव से
अत्यंत अल्प मात्रा में रह जाते हैं, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति निरंतर कृश से
अतिकृश होता जाता है। इसके अतिरिक्त लंघन, अल्प मात्रा में भोजन तथा रूखे
अन्नपान का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से भी शरीर की धातुओं का पोषण
नहीं होता।
- पाचन शक्ति में गड़बड़ी के कारण व्यक्ति अधिक दुबला हो सकता है।
- मानसिक, भावनात्मक तनाव, चिंता की वजह से व्यक्ति दुबला हो सकता है।
- यदि शरीर में हार्मोन्स असंतुलित हो जाए तो व्यक्ति दुबला हो सकता है।
- चयापचयी क्रिया में गड़बड़ी हो जाने के कारण व्यक्ति दुबला हो सकता है।
- बहुत अधिक या बहुत ही कम व्यायाम करने से भी व्यक्ति दुबला हो सकता है।
- आंतों में टमवोर्म या अन्य प्रकार के कीड़े हो जाने के कारण भी व्यक्ति को दुबलेपन का रोग हो सकता है।
- मधुमेह, क्षय, अनिद्रा, जिगर, पुराने दस्त या कब्ज आदि रोग हो जाने के कारण व्यक्ति को दुबलेपन का रोग हो जाता है।
- शरीर में खून की कमी हो जाने के कारण भी दुबलेपन का रोग हो सकता है।
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